देश के दो प्रमुख शहरों दिल्ली और मुंबई के लिए कोरोना वाली सर्दियां अलग-अलग तरह की हो सकती हैं। दिल्ली में रोजाना 8,000 से ज्यादा संक्रमण के नए मामले आने के साथ कोविड की दूसरी लहर देखी जा सकती है, वहीं मुंबई में रोजाना नए संक्रमण के मामले इन आंकड़ों का मात्र आठवां हिस्सा ही है। राष्ट्र्रीय राजधानी में निजी अस्पतालों के कोविड-19 बिस्तरों के लिए मारामारी हो रही है जबकि सरकारी आंकड़े बताते हैं कि खासतौर पर बनाए गए कोविड देखभाल केंद्रों में बिस्तर खाली पड़े हैं। इंद्र्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में श्वसन संबधी विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला बताते हैं कि दशहरे के बाद से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। अपोलो में सभी बेड भर चुके हैं और आगे स्थिति खराब हो सकती है। क्या इन बड़े निजी अस्पतालों में बेड बढ़ाने की गुंजाइश है? ऐसा जरूरी नहीं है। डॉ. चावला का दावा है कि उनके अस्पताल में उपलब्ध 600 बिस्तरों में से लगभग 300 बिस्तर केवल कोविड19 संक्रमित मरीजों के लिए हैं। वह कहते हैं, ‘बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई जगह नहीं है। निजी अस्पतालों को गैर-कोविड रोगियों का भी ख्याल रखना होगा।’
दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें राज्य के 33 निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तर कोविड रोगियों के लिए आरक्षित करने के दिल्ली सरकार के सितंबर माह के फैसले पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि 33 निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तर कोविड रोगियों के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं।
सरकारी सुविधा केंद्रों में उपलब्ध आईसीयू बिस्तर भी पूरी तरह से भरे हुए हैं। दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल, लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में लगभग सभी आईसीयू बिस्तर भरे हुए हैं। प्रत्येक बिस्तर पर ऑक्सीजन की सुविधा के साथ कुल 2010 बिस्तरों वाले आईसीयू में लगभग 350 रोगी हैं। एलएनजेपी अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधिकारी रितु सक्सेना कहती हैं, ‘दिल्ली में मामले अपनी उच्चतम स्तर पर चल रहे हैं और हम पूरी तरह से तैयार हैं। हमारे सभी आईसीयू बिस्तर लगभग पूरी तरह से भरे हुए हैं। हम केवल बेहद बीमार मरीजों को ही ले रहे हैं।’
वह मानती हैं कि मरीजों को निजी अस्पतालों में बिस्तर लेने में परेशानी हो रही है और ऐसे कई लोग अब एलएनजेपी में जा रहे हैं। सक्सेना बताती हैं कि एलएनजेपी के पास पर्याप्त बिस्तर हैं। अस्पताल में अधिक बेड जोडऩे की कोई तात्कालिक योजना नहीं है क्योंकि इसके लिए अस्पताल स्टाफ को भी बढ़ाना होगा। वह कहती हैं, ‘बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिए हमें अधिक स्टाफ की भी आवश्यकता होगी। हम फिलहाल मौजूदा बिस्तरों को सुचारु रूप से चलाएंगे।’ दूसरी ओर, मुंबई इस समय बेहतर स्थिति में है। हालांकि निजी अस्पतालों में ज्यादा बिस्तर खाली नहीं हैं। उदाहरण के लिए, फोर्टिस हेल्थकेयर दिल्ली में पूरी क्षमता के साथ चल रहा है जबकि मुंबई में सीमित बिस्तर उपलब्ध हैं। फोर्टिस हेल्थकेयर में समूह प्रमुख (चिकित्सा रणनीति और संचालन) डॉ. विष्णु पाणिग्रही बताते हैं, ‘फोर्टिस ने अपने सभी अस्पतालों में 1 अक्टूबर को कोविड रोगियों के लिए 1,278 बिस्तर लगाए थे। मंगलवार रात तक, देश भर में 1,150 बिस्तर भरे हुए हैं। दिल्ली में सभी बिस्तर भरे हैं जबकि मुंबई में सीमित संख्या में बिस्तर उपलब्ध हैं।’ चिकित्सक बताते हैं कि इस समय संक्रमण के मामलों में हो रही बढ़ोतरी में लोगों का व्यवहार, दीपावली की भीड़भाड़ वाली खरीदारी, मास्क पहनने के प्रति लापरवाही रवैया, शारीरिक दूरी का पालन नहीं करना आदि शामिल है।
इस समय सर्वाधित चिंता दिल्ली की सर्दियों तथा प्रदूषण स्तर में होने वाली वृद्धि से है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वायु प्रदूषण का उच्च स्तर न केवल बीमारी (कोविड 19) को बढ़ाएगा, बल्कि मृत्यु दर में भी वृद्धि कर सकता है। विशेषज्ञों को चिंता है कि वायु प्रदूषण के कारण फेफड़े के ऊतकों में सूजन आ जाती है, और कोविड के साथ मिलकर स्थिति बिगड़ सकती है। दूसरी ओर, मुंबई में आईसीयू बिस्तरों के लिए किए जाने वाले इंतजार में कमी आई है। शहर के पीडी हिंदुजा अस्पताल के सीईओ गौतम खन्ना ने बताया कि एक महीने पहले शहर में एक आईसीयू बिस्तर के लिए दो दिनों तक प्रतीक्षा करनी होती थी। उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास वार्डों और आईसीयू में बिस्तर उपलब्ध हैं। पिछले 10 दिनों से अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या कम हो रही है और हमारे पास अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध है।’
मुंबई के अस्पतालों में मरीजों को तत्काल बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए वहां के अस्पताल बीएमसी के वॉर-रूम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इससे रोगी प्रबंध बेहतर तरीके से सुनिश्चित हुआ है। अब रोजाना केवल 1,000 नए मामले आ रहे हैं और अस्पतालों में प्रवेश के लिए केवल 125-150 मरीज ही आ रहे हैं। हालांकि अब अस्पताल भी कोविड रोगियों के लिए बिस्तरों की क्षमता कम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हिंदुजा, कोविड-19 पीडि़त मरीजों के लिए 30 प्रतिशत बिस्तर रख रहा है और उसके पास कोविड19 के लिए अलग से बिल्डिंग भी है।
