उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन का एक सुरक्षित भंडार रखने और भंडार स्थानों के विकेंद्रीकरण का निर्देश दिया है ताकि सामान्य आपूर्ति शृंखला बाधित होने की स्थिति में ये प्रयोग के लिए तत्काल उपलब्ध हों। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट के तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अगले चार दिनों में आपातकालीन भंडार तैयार कर लिए जाने चाहिए और इन्हें हर दिन भरा जाना चाहिए। इसने कहा, ‘आपातकालीन भंडार अगले चार दिनों में तैयार कर लिया जाना चाहिए। आपात भंडारों को भरने के काम पर प्रत्येक राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश के साथ सक्रिय रूप से विचार-विमर्श कर डिजिटल नियंत्रण कक्ष के माध्यम से हर वक्त किया जाना चाहिए। यह हर दिन किए जाने वाले आवंटन के अतिरिक्त होगा।’
वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 मरीजों को दिए जा रहे ऑक्सीजन का, विशेष रूप से अस्पतालों में विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जाए और दावा किया कि देश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।
दिल्ली में खराब जमीनी हालात को देखते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी को 3 मई से पहले दूर कर ली जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि ऑक्सीजन आपूर्ति की जिम्मेदारी एक-दूसरे के ऊपर डालने की जंग में नागरिकों के जीवन को जोखिम में नहीं डाला जा सकता है। पीठ ने कहा, ‘राष्ट्रीय संकट के वक्त नागरिकों के जीवन को बचाना सर्वाेपरि है और यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों की है कि वे एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सुनिश्चित करें कि स्थिति को सुलझाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं।’ अस्पतालों में इलाज के मुद्दे पर, अदालत ने केंद्र को दो हफ्तों के भीतर कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर अस्पतालों में भर्ती को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया।
टीका नीति पर पुनर्विचार
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को 18-44 उम्र वर्ग के लिए कोविड-19 टीके की मूल्य निर्धारण नीति पर फिर से विचार करने का निर्देश देते हुए कहा है कि यह प्रथम दृष्टया जीवन के अधिकार के लिए हानिकारक होगा जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य शामिल है और यह संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को टीका देने के लिए राज्यों और निजी अस्पतालों को 50 फीसदी टीके खरीदने की नीति पर आपत्ति जताते हुए अदालत ने कहा कि राज्य सरकारों को टीका निर्माताओं के साथ सीधे बातचीत करने के लिए छोडऩे से अराजकता और अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि 45 साल से अधिक उम्र वर्ग के अलावा भी अन्य व्यक्तियों के लिए टीकाकरण की शुरुआत कर दी गई है लेकिन राज्य सरकारों पर 18-44 आयु वर्ग के लिए टीके का इंतजाम खुद करने के लिए बाध्य करना तर्कसंगत नहीं होगा।
लॉकडाउन पर विचार
देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें जनहित में लॉकडाउन लगाने पर विचार कर सकती हैं। अदालत ने उनसे कहा कि अगर वे लॉकडाउन लगाना चाहते हैं तो पहले से व्यवस्था करनी होगी ताकि गरीब लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक आपूर्ति एवं सेवाएं सुनिश्चित करने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को बीमारी और नहीं फैले, इस बारे में किए गए प्रयास और भविष्य में किए जाने वाले प्रयास के बारे में जानकारी देनी होगी।
रुके कालाबाजारी
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 के इलाज में जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी लोगों की कठिनाइयों का फायदा उठाने का निंदनीय प्रयास है। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह आरोपियों की पहचान और उन्हें दंडित करने के लिए विशेष दल बनाने की पहल करे।
दंडात्मक कार्रवाई
उच्चतम न्यायालय ने केंद्रों और राज्यों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों को यह सूचित करें कि कोविड के संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी पर रोक लगाने या किसी भी मंच पर मदद मांगने वाले व्यक्तियों का उत्पीडऩ करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कोविड-19 प्रबंधन हमारा विशेषाधिकार नहीं : निर्वाचन आयोग
मद्रास उच्च न्यायालय की हाल में हुए विधानसभा चुनावों के संबंध में आईं कड़ी टिप्पणियों से परेशान निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय से सोमवार को कहा कि कोविड-19 प्रबंधन उसका विशेषाधिकार नहीं है और राज्य का शासन उसके हाथों में नहीं है। निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह के पीठ से कहा कि संवैधानिक इकाई के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा की गई हत्या के आरोपों संबंधी टिप्पणी अवांछनीय है तथा इस तरह की निष्कर्ष वाली टिप्पणियां चुनाव इकाई को सुने बिना नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘राज्य का शासन निर्वाचन आयोग के हाथों में नहीं है। हम केवल दिशा-निर्देश जारी करते हैं। रैली में शामिल लोगों को रोकने के लिए हमारे पास सीआरपीएफ या कोई अन्य बल नहीं है। लोगों की संख्या सीमित करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को आदेश जारी करना होता है। ऐसी अवधारणा है कि निर्वाचन आयोग के पास इस सबकी जिम्मेदारी है। कोविड प्रबंधन से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष से की चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सोमवार को भारत और यूरोपीय संघ में कोविड-19 की ताजा स्थिति पर विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस दौरान भारत में चल रही कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के प्रयासों के बारे में दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की जंग में तुरंत सहयोग करने के लिए यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों की प्रशंसा की।