नागपुर में शुरु हुए महाराष्ट्र के विधानसभा सत्र के पहले ही दिन राज्य सरकार ने महाराष्ट्र कैसीनो (नियंत्रण एवं टैक्स) विधेयक पेश कर दिया। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल पहले ही 1976 में पारित महाराष्ट्र कैसीनो अधिनियम को निरस्त कर चुकी है। अब इस अधिनियम को कानूनी जमला पहना कर सरकर महाराष्ट्र में कैसिनो खुलने की संभावना पूरी तरह से खत्म करने चाह रही है।
महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार से नागपुर में शुरू हो गया। सत्र के पहले दिन महाराष्ट्र के गृह मंत्री और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा में महाराष्ट्र कसीनो (नियंत्रण एवं टैक्स) विधेयक पेश किया। वहीं, राज्य के वित मंत्री अजित पवार ने विधानसभा में चिटफंट महाराष्ट्र संशोधन विधेयक पेश किया।
महाराष्ट्र सरकार इसी साल अगस्त में कैसीनो से जुड़े एक पुराने कानून, महाराष्ट्र कैसीनो (नियंत्रण और कर) अधिनियम, 1976 को खत्म करने का फैसला लिया था। जिसे राज्य में कभी लागू नहीं किया गया है। इस अधिनियम का उद्देश्य कैसीनो को नियंत्रित और विनियमित करना, कैसीनो सट्टेबाजी पर कर लगाना और निगरानी प्रदान करना था।
कानून रद्द करने बाद महाराष्ट्र में कैसिनो खुलने की संभावना खत्म हो गई है। लेकिन कैसीनों को पूरी तरह खत्म करने के लिए जरुरी था कि इस अधिनियम को कानूनी रुप दिया जाए। अगस्त में मंत्रिमंडल बैठक में कानून निरस्त करने और इसके अनुरूप एक विधेयक विधानमंडल में पेश करने की अनुमति दी गई।
गौरतलब है कि देश में गोवा और सिक्किम जैसे राज्यों में कैसिनो चलाए जा रहे हैं। दरअसल, 1976 में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र कैसिनो (नियंत्रण और कराधान) अधिनियम, 1976 पारित किया था।
राज्यपाल ने मंजूरी भी दे दी, लेकिन उसे लागू करने के लिए कानून नहीं बनाया गया। जैसे- कौन सा विभाग इस कानून पर अमल करेगा, कानून तोड़ने पर कार्रवाई कौन करेगा, कार्रवाई कैसे होगी? यहां तक कि नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया गया। इससे राज्य सरकार ने महाराष्ट्र में किसी को भी कैसिनो चलाने की अनुमति नहीं दी।
कैसिनो कानून लागू करने के लिए साल 2015-16 में कुछ लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में कहा गया कि जब कैसीनो चलाने की मंजूरी सरकार ने दी है, तो वह कैसीनो चलाने की अनुमति क्यों नहीं देती, इस पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा।
इससे सरकार पर राज्य में कैसीनो शुरु करने का दबाव बढ़ रहा था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसके पक्ष में नहीं थे। फडणवीस के बाद उद्धव सरकार कैसीनों शुरु करने के पक्ष में थी, उद्धव सरकार का तर्क था कि इससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन राज्य में सत्ता बदलते ही सरकार कैसीनों को खिलाफ हो गई। इसी साल मानसून सत्र के दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि महाराष्ट्र में इस गंदगी को आने नहीं दिया जाएगा।