वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि लोगों की भलाई के लिए बना भारत का ओपन सोर्स नेटवर्क और ऐप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस, इंडिया स्टेक अन्य देशों के लिए उपलब्ध है, जिन्हें इस तरह की विशेषज्ञता की जरूरत है।
वाशिंगटन डीसी स्थित जॉन हॉपकिंस स्कूल आफ एडवांस इंटरनैशनल स्टडीज (एसएआईएस) में आयोजित एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि भारत ने अपने यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से भुगतान के डिजिटलीकरण में वैश्विक मानक स्थापित किया है। सीतारमण ने कहा, ‘यहां खड़े होकर मैं दोहराना चाहती हूं कि भारत का सार्वजनिक सामान उन देशों के लिए उपलब्ध है, जिनकी उन्हें जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि इंडिया स्टेक छोटे व मझोले उद्योगों को बढ़ने में मदद कर रहा है।
वित्त मंत्री इस समय विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों व गवर्नरों की बैठक में हिस्सा लेने वाशिंगटन डीसी में हैं। नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन आफ इंडिया का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर भारत आज डिजिटल हिस्सेदारी की बात कर सकता है तो वह सिर्फ भुगतान की बात नहीं कर रहा है, जहां यूपीआई है, जो सिंगापुर, यूएई और कुछ अन्य देशों में स्वीकार्य है। हम सिर्फ रुपे कार्डों, क्रेडिट कार्डों, क्यूआर कोड के बारे में नहीं बात कर रहे हैं।
एनपीसीआई के तहत जो भी ऐप उपलब्ध हैं, वे किसी भी देश के लिए उपलब्ध हैं, जिन्हें उनकी जरूरत है।’ सीतारमण ने कहा कि भुगतान में डिजिटलीकरण के बढ़ने से प्रत्यक्ष नकदी अंतरण और कल्याणकारी योजनाओं में न सिर्फ मदद मिली है बल्कि इससे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई और इसके कारण आई आर्थिक गिरावट से निपटने में भी मदद मिली और लोगों को राहत दी जा सकी है।
इससे देश की वृद्धि दीर्घावधि के हिसाब से टिकाऊ बन सकी है। सीतारमण ने कहा, ‘एक समय था जब भारत वैश्विक मानकों, वैश्विक आदर्शों को देखता था और हम कहते थे कि हमें उस स्तर पर पहुंचना है, कैसे करना है यह भी सीखना है। आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां हमें बहुत कुछ सीखना है और मानकों के अनुरूप काम करना है। लेकिन भुगतान, पहचान, स्वास्थ्य, शिक्षा के डिजिटलीकरण में हमने राह निकाली है, जहां आपके अनुपालन जरूरत का ध्यान रखा जा सकता है, दरअसल भारत ने मानक स्थापित किया है।’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो इसकी वजह आत्मविश्वास है जो हमने बीते 2 साल में जो कुछ हुआ उससे पाया है, संभवत: लोगों का ऐसा मानना है। इसलिए मुझे लगता है कि आर्थिक पुनरुद्धार निरंतर जारी है।’
सीतारमण ने कहा कि वैश्विक मंदी के कारण भारत का निर्यात प्रभावित होगा और अमेरिकी डॉलर मजबूत होने से रुपये पर असर पड़ेगा, लेकिन कहा कि सार्वजनिक कार्यों में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, ऐसे में भारत का आत्मविश्वास बढ़ा है कि वह मौजूदा वैश्विक भूराजनीतिक उतार-चढ़ाव का मुकाबला कर लेगा।
सीतारमण ने भारत के 5 जी तकनीक की तारीफ करते हुए कहा, ‘भारत में 5जी तकनीक पूरी तरह से स्वदेशी है। इसे कहीं और से आयात नहीं किया गया है और यह देश का अपना उत्पाद है। हमने अपने देश में जो 5जी लॉन्च किया है, वह पूरी तरह से स्वदेशी है, स्टैंडअलोन है। इसका प्रसार बहुत तेजी से होता है। 2024 के अंत तक देश के अधिकांश लोग इस तकनीक का लाभ उठा सकेंगे।’