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WTO ने आयात शुल्क विवाद मामले में भारत, चीनी ताइपे के अनुरोध को स्वीकार किया

नुरोध में दोनों देशों ने कुछ सूचना और प्रौद्योगिकी उत्पादों पर भारत के आयात शुल्क के खिलाफ अगले साल अप्रैल तक फैसले को स्वीकार नहीं करने का आग्रह किया है।

Last Updated- October 29, 2024 | 6:28 AM IST
WTO

विश्व व्यापार संगठन (WTO) के विवाद निपटान निकाय ने सोमवार को भारत और चीनी ताइपे के अनुरोध को फिर से स्वीकार कर लिया। अनुरोध में दोनों देशों ने कुछ सूचना और प्रौद्योगिकी उत्पादों पर भारत के आयात शुल्क के खिलाफ अगले साल अप्रैल तक फैसले को स्वीकार नहीं करने का आग्रह किया है। इसका कारण यह है कि दोनों पक्ष इस मामले को पारस्परिक रूप से सुलझाने में लगे हुए हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

यह मुद्दा जिनेवा में विवाद निपटान निकाय (डीएसबी) की बैठक के दौरान उठा। जिनेवा स्थित अधिकारी ने कहा, ‘‘डीएसबी ने चीनी ताइपे और भारत के ताजा अनुरोध पर सहमति जतायी है।’’ भारत और चीनी ताइपे ने 28 अक्टूबर की बैठक में एक बार फिर विवाद निपटान निकाय से कुछ उच्च तकनीकी सामान पर भारत के शुल्क के संबंध में चीनी ताइपे द्वारा शुरू किए गए मामले में आयोग के फैसलों को अपनाने पर विचार करने के लिए अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया।

दोनों पक्षों ने अनुरोध किया था कि डीएसबी विवादों के समाधान को सुविधाजनक बनाने में मदद के लिए 28 अक्टूबर, 2024 तक आयोग की रिपोर्ट पर फिलहाल विचार नहीं करे। अधिकारी ने कहा, ‘‘विवाद के समाधान में मदद के लिए दोनों पक्षों ने डीएसबी से 25 अप्रैल, 2025 तक रिपोर्ट पर विचार नहीं करने का आग्रह किया।’’

इससे पहले, विवाद निपटान निकाय ने इस संदर्भ में भारत और चीनी ताइपे के पिछले पांच ऐसे अनुरोधों पर सहमति जतायी थी। विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार, आयोग के फैसले को आदेश जारी होने के 60 दिन के भीतर लागू करने के लिए डीएसबी उसे स्वीकार करता है। हालांकि, देश पारस्परिक रूप से निर्णय को स्वीकार करने में देरी करने का अनुरोध कर सकते हैं।

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डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान आयोग ने 17 अप्रैल, 2023 को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कुछ सूचना और प्रौद्योगिकी उत्पादों पर भारत द्वारा लगाए गए आयात शुल्क वैश्विक व्यापार मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। विश्व व्यापार संगठन में यूरोपीय संघ, जापान और ताइवान के आवेदनों के बाद यह फैसला आया।

चीनी ताइपे ने मई, 2019 में सेल्युलर नेटवर्क के लिए टेलीफोन सहित कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान पर लगाए गए आयात शुल्क को लेकर डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ मामला दायर किया था। भारत ने कहा है कि ये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पाद डब्ल्यूटीओ के सूचना प्रौद्योगिकी उत्पाद (आईटीए-2) समझौते का हिस्सा हैं। भारत इस समझौते का हिस्सा नहीं है। वह 1997 में हस्ताक्षरित आईटीए-1 का हिस्सा है, जिसके तहत इन उत्पादों पर सीमा शुल्क समाप्त करने की कोई बाध्यता नहीं थी।

First Published - October 29, 2024 | 6:28 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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