पैगंबर मोहम्मद साहब पर भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद बने माहौल में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन बुधवार को भारत की यात्रा पर पहुंचे। राजधानी नई दिल्ली में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले। उक्त विवाद के बाद किसी मुस्लिम देश के बड़े नेता की यह पहली भारत यात्रा है। मोहम्मद साहब पर आपत्तिजनक टिप्पणी पर ईरान ने भी कड़ा प्रतिरोध जताया था। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अब तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है । ईरान ने दो दिन पहले भारत के राजदूत को तलब किया था और इस मुद्दे पर सफाई मांगी थी ।
कई पूर्व राजनयिकों का कहना है कि विवाद के बाद भारत के मुस्लिम देशों के साथ संबंधों को भारी नुकसान पहुंचा है। जबकि पिछले आठ वर्षों में इन देशों के साथ भारत के संबंधों में भारी प्रगति हुई थी। ईरान ने इस मामले में कड़े राजनयिक रुख के बावजूद अपने विदेश मंत्री को भारत की यात्रा पर भेजा। इसे एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस विवाद के बावजूद ईरान के विदेश मंत्री की तीन दिन की यात्रा के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं आया है। वह मुंबई और हैदराबाद भी जाएंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और ईरान दोनों ही देश विवाद को पीछे छोड़ कर अपने आपसी हितों को तवज्जो दे रहे हैं। विदेश मंत्री की भारत यात्रा से ठीक पहले भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने कहा कि उनका देश भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए तैयार है।
ईरान भारत को तेल का आयात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश देश था मगर अमेरिका के प्रतिबंध के बाद ईरान से भारत को तेल की आपूर्ति में कमी आई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ 2016 में हुआ परमाणु समझौता रद्द कर दिया था जिसके बाद ईरान पर प्रतिबंध दोबारा लागू हो गया था। हालांकि भारत और ईरान ने अमेरिका के प्रतिबंध का तोड़ निकाला था। ईरान भारत को तेल के आयात के बदले भुगतान रुपये में लेता था और दोबारा इसका इस्तेमाल वह भारत से किए गए आयात का मूल्य चुकाने के लिए करता था। इसके अलावा भारत और ईरान के कुछ और भी साझा हित हैं। भारत सरकार ने चाबहार बंदरगाह के एक हिस्से का परिचालन अपने हाथ में ले लिया था। भारत ने चाबहार बंदरगाह पर ईरान के साथ 2003 में बातचीत शुरू की थी मगर दोनों देशों के बीच इस पर समझौता मई 2015 में हुआ था। इस समझौते के तहत भारत और ईरान के बीच 10 वर्ष के लिए एक अनुबंध हुआ। भारत और ईरान दोनों ही देश दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क में सुधार के लिए लगातार संयुक्त रूप से प्रयास करते रहे हैं।
इस बीच 10 दिनों तक चुप्पी साधने के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को कहा कि किसी एक व्यक्ति की टिप्पणी से भारत में विभिन्न समुदायों के बीच आपसी संबंधों में दरार नहीं आ सकती। नकवी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सभी समुदायों के लोगों में संपन्नता बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में इस प्रगति को कई लोग पचा नहीं पा रहे हैं और दुनिया में भारत की छवि को बदनाम करने के लिए प्रपंच का सहारा ले रहे हैं।
नकवी ने कहा कि अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन जिसने हाल ही में भारत को धमकी दी है, वे मुस्लिम समुदाय के संरक्षक नहीं बल्कि समस्या हैं। नकवी ने कहा कि ऐसे आतंकवादी संगठन केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए खतरा हैं और अपने हितों को साधने के लिए वे मासूम लोगों का इस्तेमाल करते हैं। नकवी ने कहा कि दुनिया में प्रत्येक 10 मुसलमानों में एक मुसलमान भारत में रहता है और यहां पर सभी तरह की सुविधाएं प्राप्त करते हैं। भारत में मुस्लिम समुदाय को सामाजिक आर्थिक व शैक्षणिक आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाता है। नकवी ने कहा कि अन्य समुदायों की तरह ही मुस्लिम समुदाय को भारत में पूर्ण स्वतंत्रता है और वह अपना जीवन अपने तरीके से जीने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं। नकवी ने मुस्लिम देशों से आए बयान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कुछ देश अपना हित साधने के लिए कुछ खास मौकों पर प्रतिक्रियाएं देते हैं। नकवी ने कहा कि पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी करीब 24 फीसदी हुआ करती थी जो अब कम होकर मात्र 2 फीसदी रह गई है। उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी लगातार बढ़ रही है और आठ फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी तक हो गई है।
