अगर आप अमेरिका का वीजा मांगने जा रहे हैं तो अपने सोशल मीडिया अकाउंट जरूर खंगाल लें। कहीं उन पर कुछ ऐसा न पड़ा हो जो अमेरिकी सरकार को खटक जाए और आपका वीजा अटक जाए। एफ, एम और जे वीजा के लिए आवेदन करने वालों को अमेरिकी दूतावास ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग ‘पब्लिक’ करने के लिए कहा है। इसके बाद विदेशी शिक्षा के बारे में परामर्श देने वाले विशेषज्ञ छात्रों को राजनीति से जुड़ा कुछ भी पोस्ट करने से बचने के लिए कह रहे हैं। विशेषज्ञ इस बारे में पूरी सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया अकाउंट जांच से वीजा आवेदन अस्वीकार होने की आशंका छात्रों में तनाव, अनिश्चितता और चिंता बढ़ा सकती है।
दिल्ली में शिक्षा कंसल्टेंसी इनफिनिट ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकरी गौरव बत्रा ने कहा, ‘कंसल्टेंसी फर्म छात्रों से कह रही हैं कि वे अपना सोशल मीडिया प्रोफाइल ठीक से देखें और विवादास्पद या भ्रामक सामग्री हटा दें।’
यूनिवर्सिटी लिविंग के संस्थापक और सीईओ सौरभ अरोड़ा ने कहा कि इससे छात्रों को कुछ भी ऑनलाइन पोस्ट करने से पहले एहतियात बरतने की सीख मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘इसका अर्थ यह है कि छात्रों को ऐसे पोस्ट नहीं करने चाहिए जिन्हें गलत समझा जाए। वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वही पोस्ट करें जो वाकई में उनके काम का है। इसमें उनकी पढ़ाई भी हो सकती है और शौक या सामाजिक कार्य भी।’
वीजा के लिए परामर्श देने वाली फर्म लॉन्चएड के सह-संस्थापक ऋतेश जैन ने कहा कि वे छात्रों को सोशल मीडिया अकाउंट से सब कुछ हटाने के लिए नहीं कह रहे। इसके बजाय उन्हें ऐसे पोस्ट, तस्वीर और कमेंट ही रखने के लिए कह रहे हैं, जिनमें कुछ भी आपत्तिजनक और विवादास्पद न हो।
भारत में अमेरिकी दूतावास ने सोमवार को ही अपने बयान में कहा कि आवेदक की पहचान के लिए और अमेरिका में प्रवेश की इजाजत देने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेंटिंग में बदलाव वहां के कानून के तहत जरूरी है। ट्रंप प्रशासन की अस्थायी रोक के बाद हाल ही में अमेरिका ने छात्रों को दोबारा वीजा देना शुरू किया था।
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 शैक्षणिक वर्ष में अमेरिका में 11.2 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र थे, जिनमें से 3,31,602 भारत से थे। पिछले वर्ष की तुलना में यह आंकड़ा 23 प्रतिशत अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के प्राइवेसी संबंधी ताजा फरमान से कुछ छात्र असहज महसूस कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश इसका पालन करेंगे क्योंकि वे किसी भी कीमत पर अमेरिका में पढ़ाई करना चाहते हैं।
अरोड़ा ने कहा कि सोशल मीडिया प्रोफाइल को सार्वजनिक करने से जुड़े नए दिशा-निर्देशों से आवेदनों की संख्या सीधे शायद ही कम हो, लेकिन इसका असर इस बात पर जरूर दिख सकता है कि छात्र और परिवार पढ़ाई के लिए अमेरिका को कैसा ठिकाना मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘चूंकि अभी तक यह नहीं पता है कि क्या खंगाला जाएगा और वीजा देने के फैसले पर उसका कैसा असर होगा इसलिए पहली बार आवेदन करने जा रहे या कम उम्र वाले छात्र पूरी प्रक्रिया को समझने और ढंग से तैयार होने के लिए थोड़ा ज्यादा समय ले सकते हैं।’
बत्रा ने कहा कि जिन छात्रों को इस आदेश से दिक्कत है वे ब्रिटेन जैसे देशों में पढ़ने के लिए दिलचस्पी दिखा सकते हैं। अमेरिका में अब भी शिक्षा और अनुसंधान की बेजोड़ संभावनाएं हैं, लेकिन वहां जाने या न जाने के छात्रों के फैसले में डिजिटल जांच भी भूमिका अदा कर सकती है।
अरोड़ा ने कहा, ‘हम पहले ही देख रहे हैं कि छात्र जर्मनी, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और दूसरे यूरोपीय देशों तक पढ़ने जा रहे हैं, क्योंकि वहां अच्छी शिक्षा मिलती है और वीजा की प्रक्रिया भी काफी आसान है।’
शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022 में जर्मनी में 20684 भारतीय छात्र गए थे मगर 2024 में यह आंकड़ा 68 प्रतिशत बढ़ कर 34,702 हो गया। इसी दौरान न्यूजीलैंड जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 1,605 से 354 प्रतिशत बढ़ कर 7,297 हो गई। रूस में भारतीय छात्रों की तादाद में 59 प्रतिशत और आयरलैंड में 49 प्रतिशत बढ़ी।