अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों के तहत भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लिविट ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी। नए प्रतिबंधों के तहत भारत पर कुल 50% का आयात शुल्क लगाया गया है, जिसमें रूसी तेल की खरीद पर विशेष रूप से 25% शुल्क शामिल है। यह नया शुल्क 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
प्रेस सचिव लिविट ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए सार्वजनिक रूप से जबरदस्त दबाव डाला है। उन्होंने कई कदम उठाए हैं — जिनमें भारत पर लगाए गए प्रतिबंध शामिल हैं। वह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह इस युद्ध का शीघ्र अंत चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “राष्ट्रपति इस युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।”
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर अपना सैन्य अभियान शुरू किया था, और यह युद्ध अब अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने इसे “अनुचित और अव्यावहारिक” करार देते हुए कहा कि वह अपनी राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।
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इस पर भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “भारत, एक प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, अपने ऊर्जा स्रोतों और विदेश नीति के निर्णयों को अपने नागरिकों के हित में स्वतंत्र रूप से लेने का अधिकार रखता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए ये शुल्क एकतरफा और अनुचित हैं।” भारत ने यह भी संकेत दिया कि यदि अमेरिका ने बातचीत का रास्ता नहीं अपनाया, तो वह जवाबी कदम उठा सकता है।
इससे पहले, अमेरिकी वित्तीय मामलों के प्रमुख स्कॉट बेसेंट ने CNBC को दिए एक साक्षात्कार में भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे दामों पर बेचकर “मुनाफाखोरी” कर रहा है। बेसेंट ने कहा, “भारत ने रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदकर उसका परिष्करण किया और पश्चिमी देशों सहित वैश्विक बाजारों में ऊंची कीमतों पर बेचा। यह रूस के युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक समर्थन देना है, जो अमेरिका के संयुक्त मोर्चे के खिलाफ है।”
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम भारत जैसे अहम रणनीतिक साझेदार को नाराज़ कर सकता है, जिससे भारत रूस और चीन के और करीब जा सकता है। विदेश नीति विशेषज्ञ अनीता वर्मा ने कहा, “अमेरिका अगर अपनी विदेश नीति लागू करने के लिए शुल्क और प्रतिबंधों का सहारा लेता है, तो भारत जैसी शक्ति अपनी रणनीतिक दिशा और विकल्पों को और व्यापक कर सकती है।”
जहां व्हाइट हाउस का कहना है कि ये कदम युद्ध को खत्म करने के लिए जरूरी हैं, वहीं आलोचक इसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी के लिए खतरा मानते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने अब तक इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उम्मीद है कि वह इसी सप्ताह अपनी आगामी विदेश नीति संबोधन में इस मुद्दे पर बात करेंगे।