अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कश्मीर विवाद को लेकर बड़ा दावा किया है। वाइट हाउस में एक बिल साइनिंग कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद को सुलझा सकते हैं। ट्रंप ने कहा, “मैं कुछ भी सुलझा सकता हूं।”
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों से इस मुद्दे पर बातचीत की है और यह बताया कि यह विवाद हजारों साल से चला आ रहा है। ट्रंप ने हंसते हुए कहा, “मैंने पूछा, ये विवाद कितने सालों से चल रहा है? तो उन्होंने कहा 2000 साल। मैंने कहा- ओह, ये तो बड़ी समस्या है,”
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को टाल दिया था और ये काम उन्होंने फोन कॉल्स और व्यापार के जरिये किया। उन्होंने कहा, “मैंने भारत-पाक युद्ध रोका। मैंने दोनों को फोन किया, व्यापार की बात की और उन्होंने समझा… और रुक गए।”
ट्रंप ने दावा किया कि स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी और पाकिस्तान की ओर से हमला करने की बारी थी। उन्होंने कहा कि अगर युद्ध या परमाणु हमला होता तो अमेरिका के साथ व्यापार खत्म कर दिया जाता।
भारत सरकार ने फिर से साफ किया है कि कश्मीर सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। पहले भी भारत ने ट्रंप के ऐसे बयानों को खारिज किया है। सरकार का कहना है कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की बातचीत (DGMO-level talks) के जरिए ही मई में तनाव कम हुआ था, अमेरिका की किसी मध्यस्थता से नहीं।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारत के सैन्य अड्डों पर हमले की कोशिश की, लेकिन भारत ने सख्त जवाब दिया। आखिरकार 10 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत चल रही है और पाकिस्तान भी जल्द बातचीत में शामिल हो सकता है। उन्होंने कहा, “कोई नहीं मरा… दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं। हमें (रिपब्लिकन पार्टी को) इसका श्रेय मिलना चाहिए।”
हालांकि भारत का साफ रुख है कि युद्ध टालने का श्रेय सिर्फ दोनों देशों के सैन्य अफसरों को जाता है, किसी तीसरे देश को नहीं।