ऑस्ट्रेलिया ने भी आखिरकार सरकारी उपकरणों में चीन के वीडियो ऐप TikTok के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही वह अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड के तथाकथित ‘फाइव आइज’ खुफिया गठबंधन का आखिरी देश बन गया है जिन्होंने सरकारी उपकरणों में TikTok के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है।
अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफुस ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर प्रतिबंध ‘जल्द से जल्द’ लागू होगा। TikTok ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है।
कंपनी के ऑस्ट्रेलिया के महाप्रबंधक ली हंटर ने एक बयान में कहा, ‘हम इस फैसले से बहुत निराश है जो हमें लगता है कि राजनीति के आधार पर लिया गया है न कि तथ्य के आधार पर। हम फिर कहते हैं कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह दिखाता हो कि TikTok किसी भी तरीके से ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा है और इसे अन्य सोशल मीडिया मंचों से अलग नहीं माना जाना चाहिए।’
उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से सभी कारोबारों से ‘उनके मूल देश की परवाह किए बिना’, निष्पक्ष बर्ताव करने का अनुरोध किया। पश्चिमी देशों की सरकारों को चिंता है कि TikTok साइबर सुरक्षा और डेटा निजता के लिए खतरा है और इस ऐप का इस्तेमाल बीजिंग समर्थक धारणाओं और भ्रामक सूचना को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।
TikTok पर चीन की प्रौद्योगिकी कंपनी बाइटडांस का मालिकाना हक है और उसका कहना है कि वह चीनी सरकार के साथ डेटा साझा नहीं करती है। यूरोपीय संसद, यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ परिषद ने भी TikTok पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
यूरोपीय संसद के प्रतिबंध के तहत सांसदों और कर्मचारियों को अपने निजी उपकरणों से भी TikTok ऐप हटाने की सलाह दी गयी है। भारत ने निजता और सुरक्षा चिंताओं को लेकर 2020 में TikTok और मैसेजिंग ऐप WeChat समेत कई अन्य चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाया था।