भारत और अमेरिका के बीच ‘पारस्परिक रूप से लाभकारी’ व्यापार समझौते पर चर्चा जोर पकड़ रही है। इस बीच भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापार अधिशेष को कम करने की रणनीति पर भी विचार कर रहा है क्योंकि यह मामला लंबे समय से अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहा है। घटनाक्रम के जानकार एक शख्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत सरकार उद्योग, निर्यातकों और आयातकों को अमेरिका से आयात बढ़ाने की संभावना का आकलन करने के लिए प्रेरित कर रही है। ऐसा करने से भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष कम हो सकता है, जो जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की प्रमुख चिंता में से एक है। अमेरिका के बढ़ते व्यापार घाटे को कम करना ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम नीति’ की बुनियाद है। ट्रंप के अनुसार विभिन्न देशों के साथ अमेरिका का व्यापार ‘अनुचित और असंतुलित’ रहा है।
भारत-अमेरिका में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर इस सप्ताह के अंत में वाशिंगटन में चर्चा होनी है। समझौते पर वार्ता शुरू होने में एक महीने का समय बाकी है, ऐसे में आयात बढ़ाने और अमेरिका की चिंता को दूर करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता के संकेत महत्त्वपूर्ण हैं। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत का व्यापार घाटा 282 अरब डॉलर है, इसलिए आयात का स्रोत अमेरिका में स्थानांतरित करना कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी। एक सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘व्यापार घाटे को कम करना द्विपक्षीय व्यापार समझौते के परिणामों में से एक हो सकता है। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, जिसके परिणामस्वरूप निर्यात में वृद्धि हो सकती है।’
वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष बढ़कर 41 अरब डॉलर रहा जो इससे पिछले साल 35 अरब डॉलर था। व्यापार अधिशेष ऐसे समय में बढ़ा है जब अमेरिका में ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने अपने लगभग 100 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए कई देशों पर शुल्क लगाया है। व्यापार अधिशेष के मुद्दे को हल करने का एक अन्य तरीका यह भी हो सकता है कि भारत से निर्यात किए जाने वाले माल को अमेरिका के अलावा अन्य बाजारों को भेजा जाए। इससे तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और इसके साथ जुड़ी अनिश्चितताओं को देखते हुए निर्यातकों का जोखिम कम हो सकता है।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिका द्वारा जारी नए विनियम के अनुसार आयात शुल्क केवल उत्पाद की ‘गैर-अमेरिकी’ सामग्री पर ही लागू होगा। इसे अमेरिका से अधिक आयात करने के प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि इसका मतलब यह है कि आयात शुल्क तैयार इस आधार पर लगाया जाएगा कि तैयार उत्पाद में अमेरिकी सामग्री (अमेरिका में निर्मित घटक) कितनी लगी है । यह प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों के लिए अच्छा हो सकता है, जहां पॉलिमर को अमेरिका से आयात किया जा सकता है।’