श्रीलंका देश की घाटे में चल रही राष्ट्रीय विमानन कंपनी का निजीकरण करेगा। द्वीपीय राष्ट्र ने सोमवार कहा कि नकदी की कमी से जूझ रही सरकार एयरलाइन के संचालन में अब पैसा नहीं लगा सकती।
श्रीलंका के नागर विमानन मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार श्रीलंकन एयरलाइंस की खानपान और ग्राउंड-हैंडलिंग इकाइयों में से प्रत्येक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की सोच रही है, जबकि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। उन्होंने कहा कि यह पुनर्गठन आवश्यक है क्योंकि सरकार अब एयरलाइन चलाने में पैसा लगाने का जोखिम नहीं उठा सकती है।
डी सिल्वा ने कहा कि सरकार एयरलाइन को अपना परिचालन चलाने के लिए सालाना 80 अरब डॉलर से 200 अरब डॉलर के बीच मुहैया कराती रही है। मंत्री ने कहा कि खानपान परिचालन से प्राप्त राजस्व का उपयोग आठ करोड़ डॉलर के कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है, जो इसके शेयरों के साथ ही कुछ अन्य ऋणों को गिरवी रखकर लिया गया था। उन्होंने कहा कि एयरलाइन का कर्ज वर्तमान में 1.22 अरब डॉलर है।
1979 में एयर लंका के रूप में गठित एयरलाइन को 1998 में अमीरात के प्रबंधन नियंत्रण के तहत श्रीलंकन एयरलाइंस का नाम दिया गया था। 2007 में, सरकार ने अमीरात से इसका नियंत्रण वापस ले लिया।
