रूस में लगातार दूसरे सीजन में भी गेहूं की बंपर पैदावार हुई। इसके चलते यह देश दुनिया का सबसे बड़ा यानी नंबर 1 निर्यातक देश बन गया। एक तरफ जहां रूस की दमदार फसल निर्यातक के रूप में देश की स्थिति को मजबूत कर रही है वहीं दूसरी ओर, यह यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से कीमत पर बढ़े दबाव को भी कम कर रही है। इसका मतलब यह है कि सप्लाई बढ़ने की वजह से देश को सस्ते में गेहूं मिल जा रहा है।
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया कि रूस के साथ युद्ध की वजह से यूक्रेन के बंदरगाहों पर नाकाबंदी हो गई है और लगातार बमबारी जारी है, जिसकी वजह से यूक्रेन का खाद्य निर्यात रुक गया है। और यही वजह है कि वैश्विक गेहूं बाजार में रूस को अपना प्रभुत्व मजबूत करने में मदद मिली है। यह रिकॉर्ड रूसी शिपमेंट को जानकर समझा जा सकता है क्योंकि देश के व्यापारियों ने आक्रमण के बाद सामना की गई फाइनैंशिंग और लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियों पर काबू पा लिया है।
हालांकि, रूस के खचाखच भरे अनाज बंदरगाहों (grain ports ) ने लागत के संकट से जूझ रहे गेहूं उपभोक्ताओं के लिए एक उम्मीद की किरण भी पैदा की है क्योंकि इस समय गेहूं की कीमतें लगभग तीन वर्षों में सबसे कम हैं।
रूस स्थिति का फायदा उठाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और ऐसे में अपने खुद के खजाने को भरने के लिए गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी कर रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तब जितना दाम था, उसकी भी आधी से कम कीमत पर शिकागो बाजार (Chicago market ) कारोबार कर रहा है। बता दें कि आक्रमण के बाद गेहूं की कीमत उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
स्ट्रैटेजी ग्रेन्स के अनाज-बाजार एनॉलिस्ट हेलेन डुफ्लोट ने ब्लूमबर्ग को बताया, ‘रूसी गेहूं के लिए बहुत सारे प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। रूस इस समय प्राइस मेकर है।’ यानी रूस के लिए इस समय कोई मुकाबले में नहीं है और रूस का कीमत डिसाइड करने में इकलौता राज है।