रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अमेरिकी कंपनियों की तरफ से मिलने वाले आर्डर ने भारत के प्रतिरक्षा निर्यातों को मजबूती प्रदान की है और भारत में रोजगार के सृजन में मदद की है।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में करीब 2.5 अरब डॉलर का निर्यात किया जो इस दौरान किए गए कुल निर्यातों का 35 फीसदी है।’
इसके बावजूद भारत रक्षा मंत्रालय के 2018 के रक्षा उत्पादन नीति में निर्दिष्ट विनिर्मित और निर्यात लक्ष्यों से काफी पीछे रह गया। इसमें लक्ष्य तय किया गया था कि 2025 तक हवाई क्षेत्र और प्रतिरक्षा सामान तथा सेवाओं का सालाना कारोबार 1.7 लाख करोड़ रुपये (लगभग 26 अरब डॉलर) तक पहुंचाया जाएगा और करीब 20 से 30 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन किया जाएगा।
इसके अलावा यह 2018 के रक्षा उत्पादन नीति में 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये (करीब 5 अरब डॉलर) के प्रतिरक्षा सामानों और सेवाओं के निर्यात लक्ष्य से भी दूर है। रक्षा मंत्री ने ये बातें बुधवार को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडिया (एएमसीएचएएम इंडिया) के 30वें सालाना आम बैठक में कही। 1992 में स्थापित एएमसीएचएएम इंडिया भारत में परिचालन करने वाली अमेरिकी कंपनियों का एक संघ है। इसमें 400 से अधिक अमेरिकी कंपनियां सदस्य हैं।
राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दिए गए आत्मनिर्भर भारत पहल का फायदा उठाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि वे भारत में संयुक्त रूप से शोध एवं विकास, सह उत्पादन, सह-विकास, निवेश संवद्र्घन और विकास रखरखाव, मरम्मत तथा फेरबदल (एमआरओ) संयंत्र लगाने के लिए आगे आएं।
