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India-UK FTA पर मोदी सरकार की प्रशंसा कर गए शशि थरूर, पोस्ट की पीयूष गोयल – यूके के बिजनेस-ट्रेड मिनिस्टर के साथ सेल्फी

थरूर ने कहा, ‘‘लंबे समय से रुकी हुई एफटीए वार्ता फिर से शुरू हो गई है, जो स्वागत योग्य है।’’

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निमिष कुमार   
Last Updated- February 25, 2025 | 5:05 PM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने मंगलवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Commerce Minister Piyush Goyal) तथा ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स (Business and Trade Secretary Jonathan Reynolds ) के साथ एक सेल्फी पोस्ट की तथा कहा कि लंबे समय से रुकी हुई भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (India-UK FTA) वार्ता की फिर से बहाली स्वागत योग्य है। उन्होंने सोमवार को एक कार्यक्रम में हुई इस मुलाकात को लेकर ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ बातचीत करना अच्छा लगा।’’ थरूर ने कहा, ‘‘लंबे समय से रुकी हुई एफटीए वार्ता फिर से शुरू हो गई है, जो स्वागत योग्य है।’’ बता दें कि भारत-यूके के बीच ‘मुक्त व्यापार समझौता ‘ (FTA) पर बातचीत एक साल बाद फिर शुरू हुई है।

लोकसभा सदस्य ने यह पोस्ट उस वक्त किया है जब एक अखबार में उनके एक हालिया लेख पर विवाद पैदा हो गया है। इस लेख में उन्होंने केरल में निवेश माहौल को बढ़ावा देने के लिए वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की प्रशंसा की है। इसको लेकर वह केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं के निशाने पर हैं। भाजपा ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में गांधी परिवार के ‘‘उम्मीदवार’’ रहे मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद थरूर का ‘‘हाशिए पर जाना’’ अपरिहार्य था।

9 महीने के बदले लग गए 34 महीने, क्यों हो रही देरी?

वा​णिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत की। मगर उन्होंने वार्ता समाप्त होने के लिए किसी समयसीमा का खुलासा नहीं किया। गोयल ने जोर देकर कहा कि व्यापार समझौते पर ‘जल्दबाजी’ में नहीं बल्कि ‘तेजी’ से हस्ताक्षर किए जाएंगे। भारत और UK के बीच FTA वार्ता 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी। इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है।

FTA पर बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बराबरी का शुल्क लगाने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में ब्रिटेन जैसी उन्नत अर्थव्यवस्था भारत के साथ अपने व्यापार वार्ता में तेजी लाने के लिए मजबूर हैं। गोयल ने कहा कि भारत कई विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते कर रहा है। भारत का मानना है कि ऐसे सौदे उसके लिए पूरक साबित होंगे।

रेनॉल्ड्स ने कहा कि यह समझौता ब्रिटेन के लिए प्रमुख प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के समझौते लंबी अवधि के भविष्य के लिए होते हैं। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार वार्ता की शुरुआत 34 महीने पहले ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में हुई थी। उसका लक्ष्य 9 महीनों के भीतर समझौते को अंतिम रूप देना था। मगर ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता, तमाम मुद्दों पर मतभेद और दोनों देशों में आम चुनाव के कारण वार्ता में देरी हुई।

ब्रिटेन भारत के दूरसंचार, कानून एवं वित्तीय सेवा बाजार में अधिक अवसरों की मांग कर रहा है, जबकि भारत की नजर अपने कुशल श्रमिकों के लिए उदार आव्रजन नीति पर रही है। अन्य विवादास्पद मुद्दों में व्हिस्की और वाहन पर कम शुल्क लगाने संबंधी ब्रिटेन की मांग शामिल है। इसके अलावा उत्पादन के मूल स्थान और बौद्धिक संपदा अधिकारों संबंधी मुद्दों पर भी सहमति नहीं बन पाई है।

गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि आप्रवासन (Immigration) कभी भी व्यापार वार्ताओं का हिस्सा नहीं रहा है और भारत ने किसी भी FTA वार्ता में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की है। इस पर रेनॉल्ड्स ने कहा कि UK भारत के साथ अपने मजबूत और महत्वपूर्ण संबंधों का स्वागत करता है, चाहे वह भारतीय छात्रों के UK में अध्ययन के रूप में हो या व्यवसायों में योगदान के रूप में। गोयल ने यह भी बताया कि अमेरिका, UK, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए जाते हैं। उन्होंने कहा, “इनमें से लगभग सभी देशों में शिक्षा, व्यापार और लोगों को आकर्षित करने के लिए छात्रों को एक निश्चित अवधि के लिए काम करने की अनुमति दी जाती है। यह अल्पकालिक व्यापार कार्य वीजा (Short-term Business Work Visa) के तहत आता है और इसे आप्रवासन (Immigration) से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।”

क्या खास है India-UK FTA में-

इस व्यापार समझौते से अगले 10 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार मौजूदा 20 अरब डॉलर से दोगुना अथवा तिगुना होने की उम्मीद है। सामाजिक सुरक्षा समझौता सीमा पार कुशल श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते हैं। इनका समझौतों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि श्रमिकों के लिए पेंशन एवं बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा योगदान दोनों देशों में न किए जाएं।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत और UK के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 21.34 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2022-23 में 20.36 अरब अमेरिकी डॉलर था। UK, भारत का छठा सबसे बड़ा निवेशक (6th Largest Investor) है। अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के बीच भारत को UK से कुल 35.3 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त हुआ है।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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First Published : February 25, 2025 | 4:32 PM IST