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Rekha Gupta Delhi New CM: भारतीय जनता पार्टी (BJP) आलाकमान ने दिल्ली के शालीमार बाग विधानसभा सीट से विधायक रेखा गुप्ता को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। बुधवार, 19 फरवरी को बीजेपी हेडक्वार्टर में बैठकों का दौर चला। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह के बीच इस मुद्दे पर बात हुई। बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक में इस पर विचार किया गया और फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़ को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया। अंत में बुधवार शाम बीजेपी आलाकमान ने रेखा गुप्ता के नाम की घोषणा कर दी।
26 साल बाद दिल्ली में सरकार बनाने जा रही भाजपा के लिए सीएम का चुनाव आसान नही था। बीजेपी के बहुत से दिग्गज नेता इस पद के लिए पूरी कोशिश में थे। रेखा गुप्ता के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत नेता साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश वर्मा का नाम भी दावेदारों में शामिल था। इसके अलावा दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, पवन शर्मा, शिखा राय सहित कई विधायक दिल्ली का सीएम बनने की दौड़ में थे।
इनके अलावा दिल्ली की सीएम रही सुषमा स्वराज की सांसद बेटी बांसुरी स्वराज, पूर्वांचल से आए दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी का नाम भी इस दौड़ में शामिल था। इतना ही नहीं बीजेपी की महिला विधायक, ओबीसी और एसटी विधायक भी लॉटरी लगने की प्रतीक्षा में थे, क्योंकि बीजेपी का इतिहास रहा है कि वो ऐसा करती आई है।
8 फरवरी को आए दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद से ही रेखा गुप्ता को सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। बावजूद इसके दूसरे दावेदारों को भी नकारा नहीं जा सकता था। लेकिन अंतत: बाजी रेखा गुप्ता ने मारी।
रेखा गुप्ता की इस जीत के पीछे कई कारण है, जिसमें संघ से उनकी नजदीकी, बीजेपी की जमीनी राजनीति से राष्ट्रीय स्तर तक आना, दिल्ली के बनिया समुदाय से होना, महिला वर्ग का जोरदार प्रतिनिधित्व, हरियाणा से जड़ों का जुड़ा होना जैसे कई कारण हैं।
रेखा गुप्ता के राजनैतिक जीवन का सबसे अहम पहलू उनका बीजेपी की छात्र इकाई- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) से जुड़ा होना रहा। बता दें कि पिछले 10 साल में बीजेपी संगठन में एबीवीपी काडर से जुड़े लोग संगठन के प्रमुख पदों पर आसीन हुए हैं। खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एबीवीपी से आते है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह याने जनरल सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबोले भी एबीवीपी के इंचार्ज रह चुके है।
बीजेपी केंद्रीय आलाकमान में इस समय ABVP काडर से आए राजनेताओं का दबदबा है, जिसका सीधा फायदा रेखा गुप्ता को मिला। भाजपा केंद्रीय संगठन की दो प्रमुख इकाईयों- संसदीय बोर्ड एवं केंद्रीय चुनाव समिति में भी एबीवीपी काडर से आए लोग है। बता दें कि ये दोनों इकाईयां ही बीजेपी में सभी अहम फैसलें करती हैं। एबीवीपी से आए लोगों आरएसएस भी संगठन से सबसे ज्यादा जुड़ा मानता है, क्योंकि आरएसएस का मानना रहा है कि जो छात्र जीवन से हमारी विचारधारा से जुड़ा है, वो सबसे वफादार है।
रेखा गुप्ता का दिल्ली के बनिया समुदाय की महिला होना दूसरा मजबूत कारण था उनके इस रेस को जीतने का। दिल्ली का वैश्य समुदाय भाजपा ही नहीं जनसंघ के समय से पार्टी का कोर वोटबैंक है। जब भारत में जनसंघ की जमीनी स्थिति बिलकुल भी मजबूत नही थी, ऐसे हालात में भी दिल्ली के बनिया समुदाय ने जनसंघ और आरएसएस की खूब वित्तीय सहायता की। नरेंद्र मोदी के भाजपा में शक्तिशाली होने के पहले तक बीजेपी के केंद्रीय संगठन में दिल्ली के वैश्य समुदाय की तूती बोलती थी। रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी अपने इस कोर वोटबैंक और फाइनेंसर समूह को दुलारना चाहती है, जो बीजेपी से पिछले कई साल से नाराज चल रहा था।
रेखा गुप्ता ने अपना राजनैतिक सफर दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैम्पस के दौलतराम कॉलेज से शुरू किया था, जहां वो कॉलेज यूनियन के सेकेट्ररी पद का चुनाव जीती थी। बाद में वो दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (DUSU) की सचिव और प्रेसीडेंट भी रहीं। उसके बाद उन्होंने नगर-निगम की राजनीति में प्रवेश किया और दो बार पार्षद एवं महापौर रहीं। इसके बाद वे दिल्ली विधानसभा की राजनीति में आई।
रेखा गुप्ता की ये चुनावी यात्रा उनके लिए मजबूत कारण बनी, क्योंकि बीजेपी आलाकमान को 26 साल बाद एक ऐसा नेता चाहिए था, जो बीजेपी का सीएम रहते हुए ना केवल विधानसभा, दिल्ली नगर-निगम और दिल्ली की छात्र राजनीति का भी अनुभव रखता हो और उसे चला सके।
रेखा गुप्ता का जन्म दिल्ली नहीं हरियाणा के जींद जिले में हुआ था। उनका परिवार हरियाणा के वैश्य समुदाय से है, जो हरियाणा बीजेपी की राजनीति में खासा दखल रखते हैं। बता दें कि केजरीवाल भी हरियाणा के इसी समुदाय से आते है, इसीलिए रेखा गुप्ता के चयन से बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी हरियाणा के इसी नाराज प्रभावशाली वोटबैंक को मनाना चाहती है। ठीक वैसे ही जैसे मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर-प्रदेश, बिहार के यादव समाज को मैसेज दिया।
रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी अपने विपक्षी सहित पार्टी कैडर में महिलाओं को उच्च पद नहीं दिए जाने की आलोचना से बच गई। रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने एक महिला को मुख्यमंत्री पद दिया का स्लोगन तैयार कर लिया है। हाल के दशकों में महिला मतदाताओं की सक्रियता के चलते हर राजनैतिक दल आधी आबादी को अपने पाले में लेने की कोशिश में लगा है, ऐसे में दिल्ली की सत्ता किसी पुरूष के हाथ देने से बीजेपी अपनी महिला कार्यकर्ताओं और वोटर्स को नाराज नहीं करना चाहती थी।
प्रवेश वर्मा- 26 साल पहले दिल्ली में भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा के दो बार के सांसद बेटे प्रवेश वर्मा को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। अपने पिता के चलते प्रवेश वर्मा पहले ही बीजेपी से दो बार सांसद रह चुके हैं। अगर बीजेपी उन्हें सीएम बनाती तो बीजेपी पर परिवादवाद का आरोप लगता। वहीं दिल्ली भाजपा की राजनीति में प्रवेश वर्मा बहुत जूनियर है।
वीरेंद्र सचदेवा – दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष को ही अगर सीएम बना दिया जाता, तो इससे कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जाता। ऐसा ना करके बीजेपी ने संगठन को सर्वोपरि रखा, यानी भाजपा की राजनीति में प्रदेश अध्यक्ष का पद प्रदेश के मुख्यमंत्री से ऊपर माना जाता है।
सतीश उपाध्याय– दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को दिल्ली का सीएम बनाने के चांस होते ही नहीं थे, क्योंकि बीजेपी पहले ही ब्राह्मण समुदाय के भजनलाल शर्मा को राजस्थान में मुख्यमंत्री बना चुकी है।
मनोज तिवारी– बिहार और पूर्वांचल समुदाय के मतदाताओं को आस थी कि सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का सीएम बनाया जा सकता है। लेकिन मनोज तिवारी दिल्ली भाजपा के लिए बाहरी है। वहीं वे सांसद है, और बीजेपी दिल्ली का काडर आलाकमान को ये साफ कह चुका था कि दिल्ली का सीएम विधायकों में से ही होना चाहिए।
बांसुरी स्वराज – दिल्ली की सीएम रही सुषमा स्वराज की सांसद बेटी बांसुरी स्वराज का नाम भी दावेदारों में शामिल था, जब ये बात उड़ी की भाजपा दिल्ली की कमान किसी महिला को दे सकती है। लेकिन बांसुरी स्वराज सांसद है, दिल्ली बीजेपी की राजनीति में नई हैं। ऐसे में उन्हें पार्टी के वरिष्ठों के ऊपर पद देना बीजेपी ने गवारा नहीं समझा।
बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को डिप्टी सीएम बनाकर जाट-गुर्जर वोटबैंक को नाराज होने से बचा लिया है। वहीं दिल्ली विधानसभा स्पीकर का पद उत्तराखंडी को देकर दिल्ली के पहाड़ी वोटबैंक को साधने की कोशिश होगी। इसके अलावा दिल्ली के वाल्मिकी समुदाय, पूर्वांचल के वोटर्स, पंजाबी समुदाय, सिख समाज को भी बीजेपी को उचित प्रतिनिधित्व देना होगा।
Delhi CM: रेखा गुप्ता होंगी दिल्ली की मुख्यमंत्री, प्रवेश वर्मा Dy CM
Delhi CM: कौन है रेखा गुप्ता जिन्हें बीजेपी ने बनाया दिल्ली का मुख्यमंत्री