facebookmetapixel
एनएफआरए में कार्य विभाजन पर विचार, सरकार तैयार कर रही नई रूपरेखाकोयले से गैस भी बनाएगी NTPCलालकिले के धमाके का असर! विदेशियों की बुकिंग पर दबाव, लेकिन उद्योग बोले– असर होगा सिर्फ कुछ दिनों काअल्ट्राटेक से अदाणी तक: रद्द खदानों पर कंपनियों को राहत, सरकार ने शुरू की अंतिम मुआवजा प्रक्रियाबिहार चुनाव में वोटों की बाढ़! SIR विवाद के बीच रिकॉर्ड 66.9% मतदान से सभी चौंकेअक्टूबर में निचले स्तर पर खुदरा महंगाई, जीएसटी दरों में कमी असरहिल स्टेशनों में प्रॉपर्टी की डिमांड बूम पर! देहरादून से मनाली तक कीमतों में जबरदस्त उछाल90 रुपये तक डिविडेंड का मौका! 14-15 नवंबर को 30 कंपनियों के शेयर होंगे एक्स डिविडेंडआईपीओ से पहले 1 अरब डॉलर राजस्व की महत्त्वांकाक्षा : जसपेतीन दमदार स्टॉक्स में जोरदार ब्रेकआउट, एनालिस्ट ने बताए नए टारगेट और स्टॉप लॉस

विशेष प्रावधान पर समझौता नहीं

Last Updated- December 11, 2022 | 6:16 PM IST

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सभी समझौतों में विशेष और अलग व्यवहार (एसऐंडटी) के माध्यम से विकासशील देशों को उपलब्ध कराए गए विशेष प्रावधान उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऐसा मसला है, जिस पर समझौता नहीं हो सकता।
जिनेवा में 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-12) में डब्ल्यूटीओ के सुधारों पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा, ‘दशकों बाद भी विकासशील और विकसित सदस्य देशों के बीच खाईं  कम नहीं हुई है, बल्कि सही कहें कि कई देशों में यह बढ़ी ही है। ऐसे में एसऐंडडी का प्रावधान व्यावहारिक बना हुआ है।’
उन्होंने कहा, ‘भारत डब्ल्यूटीओ के सुधारों और आधुनिकीकरण के एजेंडे का मजबूती से समर्थन करता है, जो संतुलित, समावेशी और मौजूदा बहुपक्षीय व्यवस्था के मूल सिद्धांतों की रक्षा करता है।’
विकसित देशों का विचार है कि विकासशील देश खुद के दावों के मुताबिक विकासशील के दर्जे के नाम पर डब्ल्यूटीओ के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। विकासशील देशों जैसे भारत ने विशेष औऱ अलग व्यवहार की वकालत की है।
मंत्री ने कहा, ‘सुधार की जरूरतों, खासकर अपीली निकाय में संकट के मामले में हमें प्राथमिकता की जरूरत होगी, जिसके कामकाज को और पारदर्शी और प्रभावी बनाए जाने की जरूरत है।’ अपीली निकाय 7 व्यक्तियों की स्थायी समिति है, जो सदस्य देशों द्वारा लाए गए  विवाद के मामलों में  पैनल द्वारा जारी  रिपोर्ट पर अपील की सुनवाई करते हैं। इस समय अपीली निकाय अपील की समीक्षा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि पद खाली पड़े हैं।
अपीली निकाय के सदस्यों की अंतिम बैठक का कार्यकाल 30 नवंबर, 2020 को समाप्त हो गया है।  विकासशील देशों ने इस निकाय के काम को लेकर भी सवाल उठाया है और इसमें सुधार की मांग की है।
भारत डब्ल्यूटोओ के सुधारों और आधुनिकीकरण के एजेंडे  का खुला समर्थक है औऱ  जो संतुलित, समावेशी और मौजूदा बहुपक्षीय प्रणाली के मूल सिद्धांतों के अनुकूल है।
गोयल ने सुझाव दिया कि कि सुधार की प्रक्रिया जनरल काउंसिल व इसके नियमित निकायों में सुधार की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके अधिकारियों को मंत्रियों के हवाले से काम करने का अधिकार है और सुधार पर चर्चा डब्ल्यूटीओ के मौजूदा निकायों के प्राधिकारियों की उपेक्षा करके नहीं की जानी चाहिए।

First Published - June 16, 2022 | 12:46 AM IST

संबंधित पोस्ट