श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में उग्र प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोल दिया, वहीं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई। इससे कुछ घंटे पहले राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे देश के भयावह आर्थिक संकट के बीच सेना के विमान से मालदीव चले गए। बुधवार को इस्तीफा देने का वादा करने वाले 73 वर्षीय राजपक्षे ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया और इस तरह देश में राजनीतिक संकट गहरा गया तथा नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।
श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्द्धने ने कहा कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने उन्हें टेलीफोन पर सूचित किया है कि वह वादे के अनुसार आज इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि नए राष्ट्रपति के लिए मतदान 20 जुलाई को होगा। उन्होंने नागरिकों से शांति बरतने की अपील की। विक्रमसिंघे ने टेलीविजन पर जारी विशेष बयान में देशभर में आपातकाल की घोषणा की और शहर में तथा आसपास के क्षेत्रों में कर्फ्यू भी लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस फासीवादी खतरे को समाप्त करना चाहिए। हम सरकारी संपत्ति को बरबाद नहीं होने दे सकते। राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे कार्यालय में मौजूद लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी अदा करने से मुझे रोकना चाहते हैं। हम उन्हें अपने संविधान को नुकसान नहीं पहुंचाने दे सकते। कुछ मुख्यधारा के राजनेता भी इन उग्रवादियों का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। इसलिए मैंने राष्ट्रव्यापी आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा की है।’ उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर में प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पश्चिमी प्रांत में आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा कर रहे हैं। कार्यवाहक राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सैन्य कमांडरों और पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ जरूरी है, किया जाए। विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा बलों को हालात सामान्य करने के लिए आपातकाल और कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया है। सशस्त्र बलों के प्रमुखों की एक समिति को यह काम करने की जिम्मेदारी दी गई है जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होगा।
हालांकि इस घटनाक्रम से सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी और उग्र हो गए हैं जो देश में अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री दोनों का इस्तीफा चाहते हैं। हजारों प्रदर्शनकारियों ने आज आपातकाल को धता बताते हुए और लंका के झंडे लहराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव किया। पुलिस ने अवरोधक तोड़कर प्रधानमंत्री कार्यालय में घुसने वाले प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। विक्रमसिंघे ने कहा कि वह खुफिया सेवाओं को मिली जानकारी से हतप्रभ हैं। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के देश छोड़कर जाने और नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए कदम उठाए जाने के बावजूद कुछ प्रदर्शनकारी समूहों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जे की योजना बनाई और राष्ट्रपति को मालदीव जाने के लिए वायु सेना का विमान उपलब्ध कराने पर वायु सेना के कमांडर के आवास को घेर लिया। उन्होंने नौसेना के कमांडर और सैन्य कमांडर के आवास को भी घेरने का फैसला किया। इन समूहों ने देश को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की।’ विक्रमसिंघे ने कहा, ‘उसी समय, उन्होंने संसद को भी घेरने की योजना बनाई थी। ये समूह अब प्रधानमंत्री के कार्यालय के आसपास प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके यहां आने की कोई वजह नहीं है। वे मुझे कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से रोकना चाहते हैं, मुझे नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद अध्यक्ष के साथ काम करने से रोकना चाहते हैं। वे अपना खुद का उम्मीदवार नियुक्त होते देखना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि सभी फैसलों में संविधान का पालन किया जाएगा।
श्रीलंका की वायु सेना ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि 73 वर्षीय राजपक्षे अपनी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों के साथ सेना के एक विमान में देश छोड़कर चले गए हैं। उसने कहा कि रक्षा मंत्रालय की पूर्ण स्वीकृति के साथ यह किया गया। राष्ट्रपति रहते हुए अभियोजन से छूट प्राप्त 73 वर्षीय राजपक्षे नई सरकार द्वारा संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों के साथ मालदीव रवाना हो गए। सूत्रों के मुताबिक श्रीलंका से राजपक्षे के मालदीव जाने के विषय पर बातचीत मालदीव की संसद के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने की थी। मालदीव सरकार की दलील है कि राजपक्षे अब भी श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है या अपने अधिकार किसी उत्तराधिकारी को नहीं सौंपे हैं। सूत्रों ने कहा कि इसलिए यदि राजपक्षे मालदीव की यात्रा करना चाहते हैं तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता था। मालदीव सरकार ने अभी तक राजपक्षे की अपने यहां मौजूदगी पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है। मालदीव में सूत्रों के हवाले से ‘डेली मिरर’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि राजपक्षे बुधवार रात तक सिंगापुर रवाना हो सकते हैं। श्रीलंका के ‘द मॉर्निंग’ समाचार पोर्टल की खबर में सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राजपक्षे बुधवार शाम तक अंतिम गंतव्य देश में पहुंचने के बाद अपना इस्तीफा भेज सकते हैं।
बुधवार को ही श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने इन खबरों को निराधार बताकर पूरी तरह खारिज कर दिया कि उसने राजपक्षे के मालदीव जाने में मदद की। भारतीय मिशन ने कहा, ‘यह दोहराया जाता है कि भारत लोकतांत्रिक माध्यमों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और संवैधानिक रूपरेखा के जरिये समृद्धि एवं प्रगति की आकांक्षाओं को पूरा करने में श्रीलंका के लोगों का सहयोग करता रहेगा।’ वहीं, राजपक्षे के देश छोड़ने की खबरें आने के बाद उत्साहित भीड़ सिंहली भाषा में ‘संघर्ष की जीत’ और ‘गो होम गोटा’ के नारे लगाते हुए गाले फेस ग्रीन में एकत्रित हो गई।
