आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा है कि जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत का प्रयास वैश्विक आम सहमति बनाने पर है। गांधीनगर में होने जा रही तीसरी फाइनैंशियल ट्रैक बैठक के एक दिन पहले उन्होंने कहा कि भारत की प्रबल इच्छा है कि सभी देश आम सहमति के लिए मिलकर काम करें।
उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के असर के मसले को छोड़कर अन्य वैश्विक आर्थिक मसलों पर एक साझा आधार बना है। वहीं केवल अध्यक्षीय सारांश ही बन पाया है और इसके अलावा कोई दस्तावेज जारी नहीं किया गया है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वन ने भी कहा कि वृद्धि और वैश्विक अनिश्चितता के दौर में जब नीतियां अभी आकार ले रही हैं, ऐसे में अगर कोई सहमति नहीं बनती है, तब भी यह बैठक व चर्चा बहुत महत्त्वपूर्ण है। सीईए ने कहा कि कम महंगाई दर के 40 साल बाद विश्व में अब ज्यादा महंगाई का दौर शुरू हुआ है और विभिन्न देश इसका समाधान निकालने में लगे हैं।
नागेश्वरन ने कहा कि जी-20 जैसे मंच इसलिए अहम हैं क्योंकि इसमें शामिल देशों की जीडीपी कुल वैश्विक जीडीपी के करीब 75 से 80 प्रतिशत के बराबर है। उन्होंने कहा,’जी-20 राष्ट्रीय सीमाओं को तोड़कर विभिन्न मसलों पर चर्चा के लिए एक मंच मुहैया कराता है, जिसमें विश्व बैंक में सुधार या क्रिप्टो करेंसी के नियमन जैसे मसलों पर चर्चा हो सकती है। अन्य देशों के सहयोग के बगैर कोई देश अलग रुख नहीं अपना सकता है।’
अगले 5 दिन तक फाइनैंस ट्रैक में दो दौर में बैठकों का आयोजन होगा। पहले 2 दिन में वित्त और केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधि परिणाम दस्तावेज को अंतिम रूप देंगे और मुख्य रूप से तैयार की गई उस रिपोर्ट पर चर्चा होगी कि क्या क्या काम किए जा सकते हैं।
वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की 17 और 18 जुलाई को होने वाली बैठक वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य पर चर्चा के साथ शुरू होगी। सेठ ने कहा, ‘अब महामारी पीछे छूट गई है, लेकिन हम चर्चा करेंगे कि किसी अन्य संभावित महामारी के लिए हम किस तरह की तैयारी कर सकते हैं।’
अन्य सत्रों के विषय में टिकाऊ वित्तपोषण और बुनियादी ढांचा, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्वरूप, अंतरराष्ट्रीय कर व्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र व वित्तीय समावेशन शामिल हैं।
एक बयान में कहा गया है, ‘तीसरे जी-20 एफएमसीबीजी का मकसद जी-20 फाइनैंस ट्रैक के परिणाम की समीक्षा करना और आगे की राह के लिए मंत्रियों और गवर्नरों से मार्गदर्शन लेना है।’
DEA सचिव सेठ और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा फाइनैंस और सेंट्रल बैंक के डिप्टी (एफसीबीडी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। कामकाज के अन्य विषयों में साझा ढांचे के तहत विभिन्न देशों के कर्ज के समाधान पर प्रगति की रिपोर्ट, क्रिप्टो संपत्तियों को नियमन के दायरे में लाने, वित्तीय समावेशन को उन्नत बनाने की सिफारिशें और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से वित्तीय समावेशन का लक्ष्य हासिल करना शामिल है।