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भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर होने वाली अगली बैठक अब टल सकती है। यह बैठक 25 से 29 अगस्त के बीच भारत में प्रस्तावित थी। एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का दौरा अब आगे के लिए टलने की संभावना है।
अब तक इस समझौते पर पांच दौर की बातचीत हो चुकी है और छठे दौर के लिए अमेरिकी टीम का भारत आना तय था। अधिकारी ने कहा, “यह दौरा अब पुनर्निर्धारित किया जा सकता है।”
इस फैसले को अहम माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने भारतीय सामान पर 50 फीसदी तक का शुल्क लगा दिया है। अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि और डेयरी सेक्टर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में ज्यादा बाजार पहुंच दे, लेकिन भारत का कहना है कि यह छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका को प्रभावित करेगा, इसलिए इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
भारत और अमेरिका ने इस साल सितंबर-अक्टूबर तक BTA का पहला चरण पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। दोनों देश 2030 तक आपसी व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं, जो फिलहाल 191 अरब डॉलर है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने 7 अगस्त से भारतीय सामान पर 25 फीसदी शुल्क लागू कर दिया है। वहीं रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को लेकर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क की घोषणा भी की गई है, जो 27 अगस्त से लागू होगा।
व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64 फीसदी बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33 फीसदी बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा। इस अवधि में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा।
अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया था। 7 अगस्त से भारत से आने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ पहले ही लगाया गया था। अब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इस तरह भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ 50% हो जाएगा। नया टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा।
भारत ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद” बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि तेल आयात भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा जरूरतों से जुड़ा मुद्दा है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि यूरोपीय देश रूस से भारत से कहीं ज्यादा तेल खरीद रहे हैं।
भारत का कहना है कि वह एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने राष्ट्रीय हितों व आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत के लिए फायदेमंद रहा है, खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए। भारत ने कहा कि यह आयात 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए जरूरी है।