अंतरराष्ट्रीय

भारत-ब्रिटेन व्यापार वार्ता, यात्री वाहनों के लिए शुल्क पर विचार

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श्रेया नंदी   
Last Updated- June 05, 2023 | 1:05 AM IST

भारत और ब्रिटेन प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत जटिल मुद्दों को निपटाने की को​शिश कर रहे हैं। भारत सरकार काफी संभलकर कदम आगे बढ़ा रही है। वह ब्रिटिश कंपनियों को अपने यात्री वाहन बाजार में आने देने के लिए तैयार है मगर समझौता होने के बाद एक सीमित संख्या में वाहन इस बाजार में बेचने की ही अनुमति होगी।

भारत ने शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) के हिसाब से भारतीय बाजार में प्रवेश की इजाजत का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत रियायती आयात शुल्क पर 1 लाख यात्री वाहनों का आयात करने की अनुमति होगी।

मामले की जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इन वाहनों के लिए आयात शुल्क (टीआरक्यू के तहत) पांच साल में चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा। हालांकि ये लोग सीधे तौर पर बातचीत में शामिल नहीं थे।

वित्त वर्ष 2022-23 में देश में 38.9 लाख यात्री वाहन बिके थे। इस हिसाब से ब्रिटिश कंपनियों के वाहनों के लिए तय सीमा 1 फीसदी से भी कम रहेगी। इससे स्थानीय कार विनिर्माताओं की यह चिंता दूर हो सकती है कि यदि व्यापार समझौता लागू हुआ तो आयात में अचानक वृद्धि नहीं होगी।

एक व्य​क्ति ने कहा, ‘टीआरक्यू के अलावा बाकी आयात के लिए शुल्क धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाएगा।’ मगर यह देखना बाकी है कि ब्रिटेन इस प्रस्ताव को कबूल करता है या नहीं क्योंकि वार्ता अभी पूरी नहीं हुई है। 10वें दौर की वार्ता 5 से 9 जून तक नई दिल्ली में होनी है।
भारत को उन देशों में गिना जाता है, जहां वाहनों पर अधिक शुल्क लगाया जाता है। पूरी तरह तैयार (सीबीयू) आयातित वाहनों पर 70 से 100 फीसदी सीमा शुल्क लगता है।

वा​णिज्य विभाग ने इस बाबत जानकारी के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।

ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, ‘आधुनिक, दूरदर्शी मुक्त व्यापार समझौता हमें 2030 तक भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार दोगुना करने के साझा लक्ष्य तक ले जा सकता है। इस व्यापार समझौते से भारतीय निर्यातकों को ब्रिटेन के बाजार में प्रवेश मिल जाएगा। इन निर्यातकों में भारत के 4.8 करोड़ छोटे एवं मझोले कारोबारी भी शामिल हैं।

ब्रिटेन ऐसा समझौता चाहता है, जिससे शुल्क दरों और लालफीताशाही में कमी आए। इससे भारतीय उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए ब्रिटेन का सामान आसानी से उपलब्ध होगा।’

इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि ब्रिटेन वाहन और वाहन कलपुर्जा बाजार तक पूर्ण पहुंच हासिल करने के लिए बात कर रहा है। मगर भारत ने एकदम साफ कर दिया है कि वह इले​क्ट्रिक वाहन जैसे उभरते उद्योग के लिए शुल्क दरों में कटौती नहीं करना चाहता है। सरकार को भी वा​णि​ज्यिक वाहन श्रेणी में कंपनियों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि यात्री वाहन कंपनियों को चिंता है कि कहीं सरकार आयात शुल्क में बड़ी कटौती न कर दे।

इक्रियर की प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी ने कहा कि कुछ कार विनिर्माता चिंतित हैं,लेकिन शुल्क दरों में रियायत का फायदा अंतत: भारतीय उपभोक्ताओं को होगा।

उन्होंने कहा, ‘व्यापार समझौता इस तरीके से तैयार किया जाना चाहिए कि ब्रिटेन अपनी वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत का इस्तेमाल उत्पादन केंद्र के तौर पर करे। फिलहाल हम काफी हद तक घरेलू बाजार पर निर्भर हैं और वै​श्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा नहीं हैं। यदि भारत ब्रिटेन या यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करता है तो भारत को आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।’

First Published : June 5, 2023 | 1:05 AM IST