भारत और चीन में मित्रता बढ़ाने के लिए हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बातचीत की। भारत और अमेरिका के आपसी संबंधों में अस्थिरता के माहौल में हुई दोनों शीर्ष मंत्रियों की इस बैठक में व्यापार का विस्तार करने पर चर्चा हुई, जिसमें विशेष रूप से उर्वरकों, दुर्लभ खनिजों और सुरंग बनाने वाली मशीनों के भारत में निर्यात को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा दोनों देशों के बीच निवेश और आम लोगों की आवाजाही सुगम बनाने पर भी बात हुई। वर्ष 2020 में गलवान घाटी में दोनों पड़ोसियों के सैनिकों की झड़पों के बाद से व्यापार से लेकर पर्यटन तक हर क्षेत्र पर पर असर पड़ा है।
वित्त वर्ष 2020 में भारतीय उर्वरक आयात में चीन की हिस्सेदारी 27.16 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 10.51 प्रतिशत रह गई। मूल्य के संबंध में भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अपने लगभग 29 प्रतिशत दुर्लभ खनिजों का आयात चीन से किया। लेकिन मात्रा के संदर्भ में इसी अवधि में चीन से स्कैंडियम और यट्रियम सहित लगभग 62 प्रतिशत दुर्लभ खनिज आयात किए गए, जो वित्त वर्ष 2020 में 92.26 प्रतिशत के स्तर पर था।
भारत को वित्त वर्ष 2025 में चीन से 26.7 लाख डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इक्विटी प्रवाह प्राप्त हुआ, जो इसी अवध में भारत द्वारा प्राप्त कुल एफडीआई इक्विटी प्राप्तियों का 0.01 प्रतिशत रहा। इसके विपरीत गलवान घाटी में हुई झड़प से पहले वित्त वर्ष 2020 में चीनी निवेश 16.38 करोड़ डॉलर था, जिसकी उस वर्ष प्राप्त कुल एफडीआई में 0.33 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
पर्यटन के मोर्चे पर देखें तो वर्ष 2019 में 339,442 चीनी नागरिकों ने भारत का दौरा किया था, जबकि 358,685 भारतीय उसी वर्ष चीन गए थे। दोनों देशों द्वारा वीजा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद 2023 में भारत आने वाले चीनी नागरिकों की संख्या घटकर सिर्फ 30,585 रह गई, जबकि उसी दौरान 157,090 भारतीय लोगों ने चीन का दौरा किया।