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US-India Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है, जिसमें टैरिफ (आयात शुल्क) की सीमा 20% से नीचे रखने पर सहमति बन सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह भारत के लिए क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में एक बेहतर स्थिति होगी, जिन पर अमेरिका ने ज्यादा टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है।
जहां कई देशों को इस हफ्ते आधिकारिक टैरिफ डिमांड लेटर मिला है, वहीं भारत को ऐसा कोई पत्र मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके बजाय, अमेरिका और भारत के बीच एक संयुक्त बयान के जरिये इस समझौते की घोषणा की जा सकती है।
यह अंतरिम समझौता भविष्य में और गहराई से बातचीत का रास्ता खोलेगा, जिससे भारत को समय मिलेगा बाकी लंबित मुद्दों को निपटाने का।
संयुक्त बयान में आयात शुल्क की एक आधार दर 20% से नीचे तय की जा सकती है, जो पहले प्रस्तावित 26% से कम होगी। हालांकि यह अंतिम फैसला नहीं होगा, बल्कि आगे बातचीत के लिए दरवाजे खुले रहेंगे।
अगर यह समझौता हो जाता है, तो भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनकी ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापारिक सहमति बनी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त की समयसीमा से पहले कई देशों पर 50% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस बीच, भारत की कोशिश है कि वह वियतनाम से बेहतर शर्तों पर समझौता करे। वियतनाम ने 20% शुल्क मान लिया है, लेकिन अब वह भी इसे कम करने की कोशिश कर रहा है। अब तक ट्रंप ने केवल ब्रिटेन और वियतनाम के साथ समझौते की पुष्टि की है।
एशियाई देशों पर लगाए जा रहे शुल्क की दरें अलग-अलग हैं — वियतनाम और फिलीपींस पर 20% और लाओस व म्यांमार जैसे देशों पर 40% तक टैरिफ लगाया गया है।
भारत इस साल की शुरुआत में ही अमेरिका से व्यापारिक बातचीत के लिए आगे आया था। ट्रंप ने यह भी कहा है कि भारत के साथ समझौता “करीब” है, लेकिन साथ ही अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी भी दी है। उन्होंने भारत की ब्रिक्स समूह में भूमिका का जिक्र किया।
भारतीय अधिकारियों का एक दल जल्द ही वॉशिंगटन जाकर आगे की बातचीत करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पहले ही अपनी तरफ से सबसे बेहतर प्रस्ताव दे चुका है और किन मुद्दों पर वह कोई समझौता नहीं करेगा, यह साफ कर चुका है।
कुछ बड़े मुद्दों पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। सबसे अहम विवाद अमेरिका की यह मांग है कि भारत अपने बाजार को जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों के लिए खोले — जिसका भारत विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे देश के किसानों को नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में गैर-टैरिफ अवरोधों और दवाओं से जुड़े मानकों को लेकर भी मतभेद बने हुए हैं।