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अमेरिका में हैं आपके परिजन? भारतीयों को ग्रीन कार्ड, H1B वीजा, वर्क परमिट में क्यों आ रही हैं दिक्कतें

यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, देश में लंबित इमिग्रेशन मामलों की संख्या अब 1.13 करोड़ (11.3 मिलियन) हो चुकी है

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सुरभि ग्लोरिया सिंह   
Last Updated- July 14, 2025 | 3:57 PM IST

अमेरिका में इमिग्रेशन सिस्टम गंभीर संकट से गुजर रहा है। ग्रीन कार्ड से लेकर वर्क परमिट, एच1बी वीजा से लेकर इमिग्रेशन का कोई और मामला, अब अमेरिका में रह रहे दूसरे देश के नागरिकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है, और जो अपनी कंपनी की ओर से यूएस जाने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए भी बुरी खबर है। सबसे बुरा ये है कि इसका सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा। ट्रम्प प्रशासन में अमेरिका में रह रहे भारतीयों या अमेरिका में काम करना चाह रहे भारतीयों के लिए अब सबकुछ इतना आसान नहीं रहा। 

यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, देश में लंबित इमिग्रेशन मामलों की संख्या अब 1.13 करोड़ (11.3 मिलियन) हो चुकी है, जो अब तक का सबसे बड़ा बैकलॉग है। यह आंकड़े जनवरी से मार्च 2025 के बीच की दूसरी तिमाही के हैं – और ये डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर वापसी के बाद पहली बार सार्वजनिक किए गए हैं।

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इस तिमाही में USCIS ने महज़ 27 लाख मामलों का निपटारा किया, जो पिछले साल की इसी अवधि में निपटाए गए 33 लाख मामलों से 12% कम है। सिर्फ यही नहीं, 34,000 से ज्यादा केस अभी तक खोले ही नहीं गए हैं – जिसे “फ्रंटलॉग” कहा जाता है – और यह स्थिति पिछले एक साल में पहली बार देखी गई है।

  • I-129 (H-1B और L-1 वीजा): इसकी प्रोसेसिंग में पिछले तिमाही की तुलना में 25% और साल-दर-साल 80% की बढ़ोतरी देखी गई।
  • I-90 (ग्रीन कार्ड रिप्लेसमेंट): इसकी वेटिंग टाइम 0.8 महीने से बढ़कर 8 महीने हो गई, यानी 938% की छलांग।
  • I-765 (वर्क परमिट): नए आवेदनों में 87% वृद्धि। कुल पेंडिंग केस अब 20 लाख से अधिक हो गए हैं, जबकि पिछले साल 12 लाख थे।

गैर-अमेरिकी कैसे होंगे बुरी तरह प्रभावित

USCIS की धीमी प्रक्रिया से अमेरिका में काम करने वाले विदेशी नागरिक और उनकी कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।

इमिग्रेशन लॉ फर्म Fragomen के पार्टनर ब्लेक मिलर ने बताया, “अनेक मामलों में विदेशी कर्मचारी न अमेरिका आ पा रहे हैं, न ही समय पर काम शुरू कर पा रहे हैं। कुछ की वर्क ऑथराइजेशन खत्म हो रही है, जिससे उनका स्टेटस भी खतरे में पड़ रहा है।”

Kuck Baxter फर्म के फाउंडर चार्ल्स कक ने कहा, “सीधे शब्दों में कहें तो लोग नौकरी शुरू नहीं कर पा रहे, कंपनियां प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पा रही और वीजा होल्डर अपना स्थानांतरण नहीं कर सकते। यह सब जानबूझकर किया जा रहा है।”

भारतीय नागरिकों के लिए हालात और भी जटिल हैं, क्योंकि ग्रीन कार्ड देने में देश-विशेष की सीमा (per-country cap) लागू है। 2023 में जारी किए गए H-1B वीजा में से 73% भारतीयों को मिले, लेकिन ग्रीन कार्ड सिर्फ 78,070 भारतीयों को मिले।

Michael Wildes ने चेतावनी दी कि भारतीयों के ग्रीन कार्ड इंटरव्यू और वर्क परमिट रिन्युअल्स में और देरी हो सकती है, जिससे परिवारों का पुनर्मिलन भी टल सकता है।

चार्ल्स कक के अनुसार, “ट्रंप प्रशासन ने USCIS को केस प्रोसेसिंग धीमी करने के आदेश दिए हैं। स्टाफ में कटौती की गई, और USCIS के अधिकारियों को ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) में भेजा गया, जिससे प्रोसेसिंग और धीमी हो गई।”

उन्होंने कहा, “अगर यही हाल रहा, तो 2028 तक अमेरिका का कानूनी इमिग्रेशन सिस्टम लगभग खत्म हो जाएगा।”

एक्सपर्ट्स की क्या है भारतीयों के लिए सलाह

इमिग्रेशन विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक स्टाफिंग बढ़ाई नहीं जाती, तकनीक में सुधार नहीं होता और नीतियों में स्थिरता नहीं आती, तब तक देरी बनी रहेगी।

Fragomen और Wildes जैसे विशेषज्ञों ने कुछ वैकल्पिक उपाय बताए हैं:

  • प्रोसेसिंग तेज करने के लिए प्रीमियम प्रोसेसिंग का विकल्प चुनें (जहां उपलब्ध हो)
  • कंप्लीमेंटरी वीज़ा या कंसुलर रूट जैसे अन्य रास्ते भी जांचें
  • अनुभवी वकील से सलाह लें और उनकी बात मानें
  • लंबी देरी के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें
  • हर इंटरव्यू के लिए पूरी तैयारी करें और संभव हो तो वकील को साथ लाएं
First Published : July 14, 2025 | 3:57 PM IST