इटली सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए एक नया प्रवासन अध्यादेश (Migration Decree) पारित किया है, जिसके तहत अगले तीन वर्षों में करीब 4.97 लाख विदेशी नागरिकों को वैध रूप से इटली में काम करने की अनुमति दी जाएगी। इस निर्णय का लाभ भारतीय नागरिकों को भी बड़े पैमाने पर मिलेगा।
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब यूरो ज़ोन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, इटली, श्रमिकों की भारी कमी का सामना कर रही है। सरकार ने कहा कि यह कदम “देश की आर्थिक और उत्पादन प्रणाली के लिए आवश्यक श्रम बल की आपूर्ति सुनिश्चित करने” के लिए उठाया गया है, जो घरेलू रूप से उपलब्ध नहीं है।
नए अध्यादेश के तहत 2025 में 1,64,850 नए कामगारों को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी, और 2025-2027 के बीच कुल 4,97,550 विदेशी नागरिक इटली में वैध रूप से काम कर सकेंगे। प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में यह दूसरी बार है जब इस तरह की बड़ी घोषणा की गई है। मेलोनी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक कुल 9.5 लाख से अधिक वैध प्रवासियों को देश में एंट्री दी जा चुकी है।
इटली की सरकार के मुताबिक, विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों की भारी कमी है:
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस समय इटली में 1,67,333 भारतीय नागरिक रह रहे हैं। नए अध्यादेश के लागू होने के बाद यह संख्या आने वाले वर्षों में और बढ़ने की उम्मीद है।
अगर आप विदेश में नौकरी करने की योजना बना रहे हैं, तो इटली आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है—बशर्ते आप वैध तरीके से आवेदन करें और सही स्किल्स रखते हों।
इटली में भारत के राजदूत एंटोनियो बार्टोली ने नई दिल्ली में ‘ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया (GATI)’ फाउंडेशन के लॉन्च पर कहा:
“इटली की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। अभी 23% लोग 65 साल से ऊपर हैं, और 2050 तक यह आंकड़ा 34% तक पहुंच जाएगा। दूसरी ओर भारत में कामकाजी उम्र की आबादी लगातार बढ़ रही है।”
राजदूत बार्टोली ने कहा कि भारत इटली की लेबर डिमांड को पूरा करने में स्वाभाविक साझेदार बन सकता है। इटली केवल कानूनी प्रवासन को बढ़ावा देना चाहता है और अवैध या खतरनाक रास्तों से आने वाले प्रवासियों पर सख्ती बरती जाएगी।
“हम चाहते हैं कि प्रवासन बाजार की ज़रूरतों के आधार पर हो और यह निर्णय मानव तस्करों के बजाय लोकतांत्रिक संस्थाओं द्वारा लिया जाए,”