विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने बुधवार को कहा कि वैश्विक वाणिज्यिक कारोबार 2023 में 1.7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। डब्ल्यूटीओ ने अक्टूबर में 1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। हालांकि यह वृद्धि दर भी 2022 की 2.7 प्रतिशत वृद्धि दर की तुलना में कम है।
विश्व व्यापार निकाय ने कहा है कि कई वजहों से वृद्धि दर औसत से कम रहने की उम्मीद है। इन वजहों में रूस-यूक्रेन के बीच टकराव, उच्च महंगाई दर, सख्त मौद्रिक नीति और वित्तीय अनिश्चितता शामिल है। इसके साथ ही 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण व्यापार ठप पड़ने के बाद व्यापार में वृद्धि की दर 12 साल के औसत 2.6 प्रतिशत से नीचे रहेगी।
2023 की वृद्धि के अनुमान में बढ़ोतरी मुख्य रूप से चीन में कोविड-19 महामारी के प्रतिबंधों में ढील दिए जाने की वजह से है, जिससे वहां उपभोक्ताओं की मांग में तेजी आने की संभावना है। डब्ल्यूटीओ के मुताबिक इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
डब्ल्यूटीओ के मुख्य अर्थशास्त्री रॉल्फ ओसा ने कहा, ‘विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से बैंकिंग व्यवस्था में कमजोरी आएगी और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसकी वजह से व्यापर वित्तीय अस्थिरता आ सकती है। सरकारों व नियामकों को इसे व अन्य वित्तीय जोखिमों को लेकर आने वाले महीनों में सावधान रहना होगा।’
बेहतर पहलू यह है कि 2024 में व्यापार में वृद्धि 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। बहरहाल यह अनुमान अनिश्चित है और इस पर निर्भर करता है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा टकराव कौन सा मोड़ लेता है। कुछ जोखिमों में बढ़ता भू राजनीतिक तनाव, वैश्विक खाद्य असुरक्षा, मौद्रिक सख्ती के कारण अप्रत्याशित गिरावट की संभावना, वित्तीय स्थिरता को जोखिम और कर्ज का बढ़ता स्तर शामिल है।
इसमें कहा गया है, ‘इसमें सबसे गंभीर खाद्य संकट बढ़ना और कम आमदनी वाले देशों में भुखमरी है। संपन्न देशों को इस तरह के संकट के संकेतों पर ध्यान देना होगा और इसकी तैयारी के लिए पहले से कदम उठाना होगा।’
2022 में विश्व व्यापार की मात्रा में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि डब्ल्यूटीओ के अक्टूबर में 3..5 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान की तुलना में कम है। यह मुख्य रूप से तिमाही आधार पर उम्मीद से तेज गिरावट की वजह से है और चौथी तिमाही में वैश्विक जिंसों की कीमत बढ़ी हुई बनी है।
जहां तक भारत का सवाल है, वाणिज्यिक वस्तुओं के वैश्विक कारोबार में इसकी हिस्सेदारी 1.8 प्रतिशत है और यह 18वें स्थान पर है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत 6 प्रतिशत सालाना वृद्धि की उम्मीद कर रहा है और कुल 447 अरब डॉलर के वस्तुओं के कारोबार का अनुमान लगाया जा रहा है। आयात की स्थिति देखें तो भारत की वैश्विक हिस्सेदारी 2.8 प्रतिशत है और यह नवें स्थान पर है।