अमेरिका की व्यापार नीति में अधिक संरक्षणवादी रुख अपनाने, कई देशों में घरेलू उद्योगों के विकास और निर्माण पर जोर दिए जाने, नए और विस्तारित व्यापार युद्धों के खतरे के साथ-साथ जारी भू-राजनीतिक तनाव का असर वर्ष 2025 में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नकारात्मक तरीके से दिखेगा।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड) की गुरुवार को जारी ‘ग्लोबल ट्रेड अपडेट’शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर मुद्रास्फीति में कमी आने, स्थिर आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान और कारोबारी गतिविधियों में सुधार के चलते वर्ष 2025 की शुरुआत में वैश्विक व्यापार में लगातार सकारात्मक गति जारी रहने की बनी लेकिन इस रुझान को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वर्ष 2024 में वैश्विक व्यापार में 3.3 फीसदी या 1 लाख करोड़ डॉलर वृद्धि की उम्मीद है और इसमें वस्तुओं और सेवाओं, प्रत्येक का योगदान 500-500 अरब डॉलर होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछली चार तिमाहियों के दौरान विकासशील देशों की व्यापार वृद्धि विकसित देशों की तुलना में अधिक थी। हालांकि 2024 की तीसरी तिमाही में इस रुझान में बदलाव आया और व्यापार वृद्धि, मुख्य रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सकारात्मक व्यापार के कारण आई। भारत ने वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में निर्यात और आयात में क्रमशः 3 फीसदी और 1 फीसदी की कमी देखी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे अमेरिका द्वारा अधिक ‘संरक्षणवादी व्यापार नीति’अपनाए जाने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इस संदर्भ में नए टैरिफ न केवल विशेष उत्पादों पर लगाए जा सकते हैं बल्कि व्यापक तौर पर इन पर अमल किया जा सकता है। हालांकि यह टैरिफ न केवल भू-राजनीतिक विरोधियों बल्कि मुख्य व्यापारिक साझेदारों विशेषतौर पर उच्च टैरिफ वाले और अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण व्यापार अधिशेष वाले देशों को प्रभावित कर सकता है।’