अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनके समर्थक उद्योगपति ईलॉन मस्क द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद एच1बी वीजा को लेकर गहराती बहस के बीच शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुशल पेशेवरों का आवागमन भारत-अमेरिका रिश्तों का एक अहम पहलू है जो दोनों देशों के लिए लाभदायक है।
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अमेरिका में एच1बी वीजा को लेकर हो रही बहस से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘भारत-अमेरिका आर्थिक रिश्तों को कुशल पेशेवरों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली तकनीकी विशेषज्ञता से काफी मदद मिलती है। दोनों पक्ष उनकी मजबूती और प्रतिस्पर्धी मूल्य से लाभ उठाते हैं। हम भारत-अमेरिका के आर्थिक रिश्तों को और गहरा करने की ओर देख रहे हैं जो हमारे साझा हित में हैं।’
उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के आर्थिक और तकनीकी साझेदारी मजबूत है और लगातार बढ़ रही है और इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों का आवागमन एक अहम पहलू है। एच1बी वीजा को लेकर मौजूदा बहस पिछले महीने शुरू हुई जब डॉनल्ड ट्रंप के करीबी और टेस्ला के मालिक ईलॉन मस्क तथा उद्योगपति विवेक रामास्वामी वीजा के समर्थन में आगे आए। दोनों को नवगठित डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट इफिशिएंसी के नेतृत्व के लिए चुना गया है।
दूसरी ओर मेक अमेरिका ग्रेट अगेन यानी मागा के समर्थक हैं जो चाहते हैं कि अमेरिकी टेक कंपनियां ज्यादा से ज्यादा अमेरिकियों को काम पर रखें। पिछले महीने के अंत में ट्रंप ने कहा था कि वह विदेशी कर्मचारियों के लिए एच1बी वीजा के पूर्ण समर्थक हैं। उन्होंने ऐसा तब किया था जब मस्क द्वारा इस वीजा के समर्थन पर ट्रंप के कुछ समर्थक नाखुश नजर आए।
भारतीय एच1बी वीजा के प्रमुख लाभार्थी हैं। यह वीजा दुनिया भर से प्रतिभाओं को आकर्षित करता है। सन 1990 में शुरू किए गए इस वीजा का लक्ष्य था उच्च कौशल संपन्न कर्मियों को अस्थायी वीजा पर अमेरिका आमंत्रित करना। वीजा धारक ग्रीन कार्ड हासिल करके देश में अपने रुकने की अवधि बढ़ा सकते थे।
एक साल में ऐसे 65,000 वीजा ही जारी किए जा सकते हैं और अमेरिका से उच्च शिक्षा हासिल करने वालों को 20,000 अतिरिक्त वीजा दिए जा सकते हैं। भारतीय आईटी कंपनियां इस योजना की प्रमुख लाभार्थी रही हैं और उन्हें लॉटरी व्यवस्था के तहत वीजा मिलता है। भारत और अमेरिका द्विपक्षीय संवाद प्रणाली के जरिये एच1बी वीजा कार्यक्रम सहित भारतीय पेशेवरों के आवागमन सहित सभी गतिविधियों पर करीबी ढंग से जुड़े रहते हैं। अमेरिकी सिटिजनशिप और इमीग्रेशन सर्विसेज के आंकड़ों के अनुसार 2023 में कुल एच1बी वीजा में सर्वाधिक 72 फीसदी वीजा भारतीयों को मिले।
जायसवाल ने कहा कि भारत ट्रंप के शासन में दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत करने को उत्सुक है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव ने हाल ही में अमेरिका की यात्रा की और शासन में बदलाव के लिए काम कर रही टीम से मुलाकात की। मस्क और रामास्वामी दोनों का कहना है कि बेहतरीन प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए एच1बी वीजा जरूरी हैं क्योंकि अमेरिका कई विशिष्ट क्षेत्रों में पीछे है। उन्हें रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार जैसे भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसदों का समर्थन भी मिला। गौरतलब है कि ट्रंप द्वारा श्रीराम कृष्णन को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए अपना वरिष्ठ नीतिगत सलाहकार बनाए जाने का अचानक भारी विरोध हुआ था।