प्रतीकात्मक तस्वीर
बीजिंग में मंगलवार से शुरू हो रहे चीनी संसद के वार्षिक सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीनी सामान पर शुल्क लगाने की धमकी, वाशिंगटन की बीजिंग विरोधी नीतियों और आर्थिक सुस्ती का मुद्दा छाया रहने की संभावना है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) और चायनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के 5,000 से अधिक प्रतिनिधि लगभग दो हफ्ते तक चलने वाले सत्र के लिए मंगलवार को बीजिंग में जुटेंगे।
सत्र में वर्ष 2025 में चीन को आगे ले जाने के लिए सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के एजेंडे और विभिन्न कानूनों पर चर्चा की जाएगी। सीपीसी की नीतियों के नियमित समर्थन के कारण “रबर स्टांप विधायिका” के रूप में पहचानी जाने वाली एनपीसी चीन की मुख्य नीति निर्माता निकाय है। वहीं, सीपीपीसीसी देश का सलाहकार निकाय है, जिसमें चीनी समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह निकाय शासन में सुधार के लिए विचार-विमर्श करता है और सिफारिशें आगे बढ़ाता है।
एनपीसी का सत्र बुधवार को प्रधानमंत्री ली क्वींग के कार्य रिपोर्ट और बजट पेश करने के साथ शुरू होगा। कार्य रिपोर्ट में चीन द्वारा पिछले साल हासिल उपलब्धियों का जिक्र होगा, जिसमें संपत्ति बाजार में सुस्ती के कारण अरबों डॉलर के नुकसान और घरेलू मांग में भारी कमी के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच प्रतिशत के आधिकारिक लक्ष्य की प्राप्ति भी शामिल है। विशाल तियानमेन चौक के सामने ग्रेट हॉल ऑफ पीपल में आयोजित होने वाले सत्र में चीन द्वारा अमेरिका भेजे जाने वाले 436 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात पर 10 फीसदी शुल्क लगाने की ट्रंप की धमकी का मुद्दा उठेगा।
ट्रंप ने कहा है कि चीन से आने वाले सामान पर 10 फीसदी का नया शुल्क मंगलवार से लागू होगा, जिस दिन एनपीसी सत्र शुरू होगा। ट्रंप ने इस साल जनवरी में बतौर राष्ट्रपति अपना दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही चीनी सामान पर 10 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था। ली की कार्य रिपोर्ट का जोर चीन के रक्षा बजट में संभावित वृद्धि पर भी होगा जो अमेरिका के बाद रक्षा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला दूसरा देश है। चीन ने पिछले साल अपनी सेना के आधुनिकीकरण की व्यापक कवायद जारी रखते हुए अपना रक्षा बजट 7.2 फीसदी बढ़ाकर लगभग 232 अरब अमेरिकी डॉलर कर दिया था जो भारत के बजट से तीन गुना अधिक है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिकी सेना को और मजबूत करने के ट्रंप के प्रयासों के बीच चीन इस वर्ष भी अपने रक्षा बजट में वृद्धि कर सकता है।