भारत ने यह स्पष्ट किया है कि अमेरिका के पास कच्चे तेल के लिए पर्याप्त अतिरिक्त क्षमता नहीं है। ऐसे में कई सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि अब अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी कच्चे तेल उत्पादकों के साथ लंबी अवधि के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के अनुबंध पर हस्ताक्षर करे।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘अमेरिका के पास फिलहाल तुरंत खरीद के लिए पर्याप्त कच्चा तेल उपलब्ध नहीं है। योजना के हिसाब से इसके उत्पादन में बढ़ोतरी करने में कुछ समय लगेगा। हमने यह बात बता दी है। इसलिए अब अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं के साथ एलएनजी का दीर्घकालिक अनुबंध करने को लेकर बातचीत हो रही है।’
उन्होंने कहा कि यह भारत के समग्र एलएनजी आयात को बढ़ाने के प्रयासों के अनुरूप है क्योंकि इसके ऊर्जा आयात में फिलहाल कच्चे तेल का दबदबा है। उन्होंने संकेत दिया कि सरकार दोनों देशों की कंपनियों के बीच बातचीत का स्वागत करती है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि अमेरिकी कंपनियों के साथ इस तरह की चर्चाएं ऐतिहासिक रूप से लंबे समय तक खिंचती रही हैं।
सरकारी कंपनी गेल (इंडिया) ने दिसंबर 2011 में अमेरिका की कंपनी चेनियर एनर्जी पार्टनर्स के साथ सालाना 35 लाख टन एलएनजी की आपूर्ति के लिए 20 साल की बिक्री और खरीद समझौता किया था जिसकी डिलिवरी 2017 में शुरू हुई थी। इसकी आपूर्ति 2018 में शुरू हुई।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार अनुबंधित एलएनजी आपूर्ति और अनुमानित एलएनजी आवश्यकताओं के बीच का अंतर 2028 के बाद काफी बढ़ जाएगा, जिससे भारत के लिए हाजिर एलएनजी बाजार की अस्थिरता को लेकर जोखिम की स्थिति बनेगी, जब तक कि आने वाले वर्षों में अतिरिक्त एलएनजी अनुबंध सुरक्षित नहीं किए जाते।
बहरहाल वर्ष 2024-25 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान एलएनजी आयात 11.6 अरब डॉलर था जो कुल वाणिज्यिक वस्तुओं के आयात का 2.12 फीसदी है। इसकी तुलना में, कच्चे तेल का आयात लगभग 10 गुना अधिक 109.3 अरब डॉलर का था जो कुल आयात का 20 फीसदी है।
अमेरिका और कतर वैश्विक स्तर पर दो सबसे बड़े उत्पादक हैं और फिलहाल कई अनुबंधों के माध्यम से भारत को एलएनजी की आपूर्ति करते हैं। तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, ऑस्ट्रेलिया है जो ज्यादातर चीन को आपूर्ति करता है। भारत की लगभग आधी स्थानीय गैस मांग आयात के जरिये से पूरी होती है। वहीं दूसरी ओर, गैस भारत की ऊर्जा जरूरतों का केवल 6.7 फीसदी पूरा करती है। केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करने के लिए इस आंकड़े को काफी हद तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण इस दशक के अंत तक अमेरिका का एलएनजी शिपमेंट दोगुना होने की उम्मीद है जिसमें गैर-मुक्त व्यापार समझौता देशों को एलएनजी निर्यात के संबंध में लंबित निर्णयों पर अस्थायी रोक को पलटना भी शामिल है। यह रोक पिछली जो बाइडन की सरकार ने जनवरी 2024 में लगाई थी।
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 की शुरुआत में एलएनजी भारत में तेजी से भेजी जाने लगी, जब कोविड महामारी ने दस्तक दी थी। मासिक व्यापार मई 2021 में 2,825.9 करोड़ क्यूबिक फीट के उच्च स्तर पर पहुंच गया लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट आई। वहीं अक्टूबर 2023 में व्यापार1369.8 करोड़ क्यूबिक फीट के स्तर पर था जिसके बाद ईआईए ने मासिक डेटा देना बंद कर दिया।
तेल एवं गैस क्षेत्र की एक सरकारी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि इस क्षेत्र में सही कीमत का अंदाजा लगाना भी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर दीर्घकालिक अनुबंध केवल विशेष समय पर ही उपलब्ध होते हैं। लेकिन इस वर्ष से बाजारों में बड़ी मात्रा में गैस पहुंचने की उम्मीद है। आयात करने वाली संस्था पर यह निर्भर होगा कि वह समय के साथ कीमतों में बदलाव को ध्यान में रखे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुबंध बेवजह काफी महंगा न लगे।’