विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अध्यक्ष बोर्ज ब्रेंडा ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक वैल्यू चेन (जीवीसी) से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के पूरी तरह अलग होने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8-10 प्रतिशत की कमी आएगी। उन्होंने कहा, ‘मंदी के सबसे खराब दौर में जैसी परिस्थितियां बनीं यह उससे कहीं अधिक बुरी स्थिति है। काफी कुछ दांव पर लगा है और भारत को अपनी जी20 अध्यक्षता की इस अवधि में यह देखना चाहिए कि वैश्विक वैल्यू चेन को कैसे सुरक्षित किया जाए जो भविष्य की वृद्धि का एक प्रमुख इंजन हैं।’ नई दिल्ली में बी20 शिखर सम्मेलन में वह ‘वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए समावेशी जीवीसी’ से जुड़े एक सत्र को संबोधित कर रहे थे।
ब्रेंडा ने कहा कि भविष्य में समृद्धि और गरीबी उन्मूलन वास्तव में मुक्त व्यापार और मजबूत जीवीसी पर आधारित होगा जो सबके लिए उपलब्ध होने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के हिसाब से समायोजन कर सके। उन्होंने कहा, ‘भारत में काफी आशावादी माहौल है जो जी-20 की भारत की अध्यक्षता का आधार भी है। दुनिया में मंदी के हालात के बीच भी लगातार तीन साल से भारत सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। कुछ वर्षों में भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और भारत के लिए सुधारों को जारी रखना, बेहतर बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, शिक्षा में निवेश करना महत्त्वपूर्ण है।’
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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के डीपी वर्ल्ड के समूह अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) सुल्तान अहमद बिन सुलायम ने कहा कि अगर भारत को निर्यात करने वाला देश बनना है तो कानूनों में बदलाव करना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अधिक उदार होना होगा और लोगों को निर्यात करने तथा निर्यात में तेजी लाने की अनुमति देनी होगी और इसके साथ ही कई प्रतिबंधों और सीमा शुल्कों को हटाना होगा।
उन्होंने कहा, ‘सीमा शुल्क विभाग आज महत्त्वपूर्ण है और इनमें सुधार की जरूरत है। प्रक्रियाओं का डिजिलटीकरण करने की जरूरत है। यदि सीमा शुल्क विभाग, अन्य देशों के सीमा शुल्क विभागों के साथ समन्वय कर सकता है तो यह मुक्त व्यापार से भी बेहतर होगा।’
फेडेक्स, अमेरिका के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी राज सुब्रमण्यम ने कहा कि वैश्विक वैल्यू चेन को कुशल तरीके से समर्थन मिलना चाहिए नहीं तो इससे लागत बढ़ सकती है और यह प्रौद्योगिकी की मदद से और आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाकर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता काफी सूक्ष्म और जटिल है। भारत में वैश्विक विनिर्माण बढ़ाने के अवसर हैं और बड़े पैमाने पर उत्पादन के फायदे के रूप में लॉजिस्टिक्स की लागत और कम हो सकती है।’