अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भले ही अमेरिका में पढ़ने वाले छात्रों के साथ-साथ वहां काम कर रहे भारतीयों पर शिकंजा कस रहे हैं, सिलिकन वैली की स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी कंपनियों में भारतीय अब भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्टैनफर्ड ग्रैजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के वेंचर कैपिटल इनीशिएटिव का एक शोध बताता है कि कैलिफोर्निया की यूनिकॉर्न कंपनियां 6 फीसदी से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति भारत में कर रही हैं।
यह रिपोर्ट सिलिकन वैली की 191 से अधिक यूनिकॉर्न के अध्ययन के बाद जारी की गई है, जो कहती है कि कि कैलिफोर्निया की यूनिकॉर्न अमेरिका से बाहर जो भी कर्मचारी नियुक्त करती हैं, उनमें सबसे ज्यादा प्रतिभा भारत की ही होती हैं। कंपनियों के 30 फीसदी कर्मचारी अमेरिकी नहीं होते। कैलिफोर्निया को छोड़ दें तो यह आंकड़ा अमेरिका के दूसरे शहरों तथा राज्यों से आने वाले कर्मचारियों से भी बड़ा है।
दुनिया भर में देखा जाए तो वहां भारतीय कर्मचारियों की हिस्सेदारी ब्रिटेन के कर्मचारियों से भी ज्यादा है। 3 फीसदी हिस्सेदारी के साथ ब्रिटेन दूसरे और 2 फीसदी के साथ चीन तीसरे स्थान पर है। फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्पेन, इजरायल, आयरलैंड, सिंगापुर आदि देशों की हिस्सेदारी महज 1 फीसदी है।
जाहिर है कि सबसे ज्यादा (करीब 38 फीसदी) कर्मचारी कैलिफोर्निया में हैं, लेकिन 32 फीसदी कर्मचारी कैलिफोर्निया के अलावा अमेरिकी शहरों से आते हैं। यहां भी भारत अग्रणी है क्योंकि अन्य अमेरिकी शहरों से आने वाले कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से न्यूयॉर्क 4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है। अमेरिका में यूनिकॉर्न बनाने में भारतीय इसलिए भी सफल रहे हैं क्योंकि वे तकनीक पर ध्यान देते हैं।
भारत में पढ़ने के बाद यूनिकॉर्न बनाने वाले 165 संस्थापकों में से 45 फीसदी ने इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल की है। उनके बाद 42 फीसदी ने कंप्यूटर साइंस पर और 81 फीसदी ने इंजीनियरिंग अथवा कंप्यूटर साइंस या दोनों की पढ़ाई की है। अध्ययन में कहा गया है कि तकनीक की इसी बुनियाद ने भारतीयों को अमेरिका के प्रौद्योगिकी से चलने वाले स्टार्टअप परिवेश में ऊंचाई छूने के लिए तैयार किया है।
भारतीयों की मांग इस बात से भी बढ़ती है कि 1997 और 2019 के बीच बनी 500 यूनिकॉर्न में 1,078 संस्थापक अमेरिका से बाहर पैदा हुए थे और उनमें 90 भारत से आए थे। उनके बाद 52 संस्थापकों के साथ इजरायल और 42 संस्थापकों के साथ कनाडा का स्थान रहा।
ऐसे संस्थापकों का कहना है कि एनालिस्ट अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले भारतीयों को ही अपने साथ रखेंगे क्योंकि उनमें से कई भारत में एक ही कॉलेज से पढ़े होंगे। उनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का दबदबा है, जहां से पढ़कर निकले छात्रों ने 53 यूनिकॉर्न की बुनियाद रखी है।