विजयदशमी के अवसर पर मंगलवार को अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मणिपुर में हुई हिंसा प्रायोजित थी और उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य के संकटपूर्ण हालात के लिए ‘बाहरी ताकतों’ की सक्रियता को लेकर आरोप लगाए।
नागपुर के रेशमीबाग में मौजूद संघ के मुख्यालय में भागवत ने अपना संबोधन दिया जो वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले उनका आखिरी संबोधन है।
भागवत ने संघ के कार्यकर्ताओं को आगाह किया कि वे किसी भी तरह के उकसावे में न आएं क्योंकि चुनावों से पहले राजनीतिक विमर्श काफी असंयमित हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘आप भड़को मत। मतदाताओं ने अब तक सभी को देख लिया है। वे जो भी मौजूद विकल्प होंगे उनमें से सर्वश्रेष्ठ का चुनाव करेंगे।’
जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए भागवत ने सरकार की तारीफ की। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या के मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित करने के अवसर पर जश्न मनाने के लिए लोग देश भर में कार्यक्रम आयोजित करें।
उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि कैसे लोगों को ‘दूसरे’ इलाके में किराये पर घर नहीं मिलता है। उन्होंने अपने श्रोताओं से संविधान सभा में भीमराव आंबेडकर के अंतिम दो भाषणों को ठीक उसी तरह पढ़ने का आग्रह किया जैसे वे संघ के संस्थापक के बी हेडगेवार को पढ़ते हैं।
संघ की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी और इसके प्रमुख हर साल इस दिन संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं। भागवत ने कहा कि अगले साल संघ 2025 से 2026 तक अपना शताब्दी समारोह मनाएगा।
भागवत ने आरोप लगाए कि तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागरूक तत्त्व अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मीडिया और अकादमिक क्षेत्र पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए देश की शिक्षा एवं संस्कृति को बरबाद करना चाहते हैं और अन्य क्षेत्रों में अपने प्रभाव से सामाजिक व्यवस्था, नैतिकता, संस्कृति, गरिमा और संयम को बाधित करना चाहते हैं।
संघ प्रमुख ने लोगों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिशों के प्रति आगाह किया। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास को ध्यान में रखते हुए मतदान करें और वे हिंसा भड़काने और समुदायों के बीच अविश्वास एवं नफरत पैदा फैलाने वाले लोगों से सतर्क करें जो ‘टूलकिट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा के मामले पर भागवत ने कहा, ‘मैतेई और कुकी समुदाय के लोग कई वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं। यह एक सीमावर्ती राज्य है। इस तरह के अलगाववाद और आंतरिक संघर्ष से किसे फायदा मिलेगा? बाहरी ताकतों को भी फायदा मिलता है। वहां जो कुछ भी हुआ, क्या उसमें बाहर के लोग शामिल थे? मणिपुर में अशांति और अस्थिरता का फायदा उठाने में किन विदेशी ताकतों की दिलचस्पी हो सकती है? क्या इन घटनाक्रम में दक्षिण-पूर्व एशिया की भूराजनीति की भी कोई भूमिका है?’ उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं की तारीफ के पुल बांधे जिन्होंने मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में काम किया।