उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जहां बड़ी तादाद में लोग लेन-देन के लिए यूपीआई जैसे डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं। वहीं, उनमें ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर जागरुकता भी खासी है।
देश के 17 शहरों में 18-55 आयु वर्ग के उपभोक्ताओं पर किए गए वार्षिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट द ग्रेट इंडियन वॉलेट के मुताबिक राजधानी लखनऊ के लोग अपनी आय व खर्चों के बीच संतुलन बनाकर रखते हैं और बीते साल के मुकाबले अधिक बचत कर पाने में सफल रहे हैं। उक्त सर्वेक्षण कनज्यूमर फाइनेंस कंपनी होम क्रेडिट इंडिया ने करवाया था जिसके तीसरे संस्करण के निष्कर्षों के बारे में खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में लखनऊ के 50 फीसदी उत्तरदाता बचत करने में सक्षम रहे हैं जोकि बीते साल से 4 अंक अधिक है। लखनऊ के 67 फीसदी निवासी यूपीआई का उपयोग करते हैं हालांकि उनमें से 48 फीसदी ने शुल्क लगने की स्थिति में इसे बंद करने की बात कही है।
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ऑनलाइन धोखाधड़ी को लेकर लखनऊ में जागरुकता का स्तर काफी अधिक 76 फीसदी है। हालांकि, 20 फीसदी लोग इसके शिकार भी हुए हैं। सर्वेक्षण में राजधानी के 74 फीसदी लोगों ने माना है कि सस्ते कर्ज से उनकी इच्छाएं आसानी से पूरी हो सकती हैं। लखनऊ में मध्य वर्गीय परिवारों के बजट का सबसे ज्यादा 34 फीसदी किराने के सामानों की खरीदारी तो 17 फीसदी यातायात पर और 11 फीसदी बच्चों की शिक्षा पर खर्च होता है। मध्यम वर्ग के लोगों की औसत मासिक आय 28,000 जबकि खर्च 18,000 रूपये होने की बात सर्वेक्षण में निकल कर आई है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों के मुताबिक लखनऊ के लोग पर्यटन व बाहर खाने पर अपने विवेकाधीन कोष का 29-29 फीसदी खर्च करते हैं। सबसे ज्यादा 31 फीसदी लोगों का वित्तीय लक्ष्य अपना खुद का व्यवसाय खड़ा करना तो 18 फीसदी का घर खरीदना है।