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मोदी सरकार को कमजोर कर सकती है अदाणी समूह में उथल-पुथल: जॉर्ज सोरोस

सोरोस ने कहा कि अदाणी समूह पर शेयरों में धोखाधड़ी का आरोप है और उसकी कंपनियों के शेयर ताश के पत्तों की तरह ढह गए। मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा

Published by
भाषा
Last Updated- February 17, 2023 | 4:19 PM IST

अरबपति समाजसेवी George Soros का मानना है कि गौतम अदाणी के व्यापारिक साम्राज्य में उथल-पुथल सरकार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकड़ को कमजोर कर सकती है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बयान को भारतीय लोकतंत्र पर हमला बताया है।

अमेरिका की निवेश शोध कंपनी ‘Hindenburg Research’ की 24 जनवरी को जारी रिपोर्ट के बाद से अदाणी समूह को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस रिपोर्ट में अकाउंटिंग धोखाधड़ी और शेयरों में धांधली का आरोप लगाया गया है, लेकिन अदाणी समूह ने इसे “दुर्भावनापूर्ण”, “आधारहीन” और “भारत पर सुनियोजित हमला” बताते हुए इससे इनकार किया है।

सोरोस ने गुरुवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में एक संबोधन में कहा कि मोदी को अदाणी समूह के आरोपों पर विदेशी निवेशकों और संसद के “सवालों का जवाब देना होगा”।

उनके भाषण पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा कि सोरोस न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी निशाना बना रहे हैं।

भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि यह युद्ध भारत के खिलाफ शुरू किया जा रहा है और युद्ध और भारत के हितों के बीच मोदी खड़े हैं। उन्होंने कहा, “सभी को एक स्वर में उनकी टिप्पणी की निंदा करनी चाहिए।’’

ईरानी ने आरोप लगाया कि सोरोस भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करना चाहता है और कुछ “चुने हुए” लोगों द्वारा यहां की सरकार चलवाना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत सहित विभिन्न देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप के लिए एक अरब डॉलर से अधिक का फंड बनाया है।

सोरोस ने अपने भाषण में कहा कि अदाणी समूह में उथल-पुथल देश में एक लोकतांत्रिक सुधार का दरवाजा खोल सकती है। उनका लगभग 42 मिनट का भाषण जलवायु परिवर्तन, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका की समस्या, तुर्की आपदा और चीन की विफलताओं पर केंद्रित रहा। उन्होंने दावा किया, “मोदी और कारोबार जगत की महत्वपूर्ण हस्ती अदाणी करीबी सहयोगी हैं और उनके हित आपस में जुडे हैं।”

सोरोस ने कहा, “अदाणी समूह पर शेयरों में धोखाधड़ी का आरोप है और उसकी कंपनियों के शेयर ताश के पत्तों की तरह ढह गये। मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा।” उन्होंने, हालांकि अपने दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया।

उन्होंने कहा, “इससे भारत की केंद्र सरकार पर मोदी का दबदबा काफी कमजोर हो जाएगा और आवश्यक तौर पर संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने का दरवाजा खुल जाएगा।” सोरोस ने कहा, “मैं अनाड़ी हो सकता हूं, लेकिन मुझे भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुद्धार की उम्मीद नजर आ रही है।”

सूचना और प्रसारण मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने कहा कि बार-बार शासन परिवर्तन के पीछे के चेहरे बेनकाब हो गए हैं। उन्होंने कहा, “भारत में बार-बार ‘सत्ता परिवर्तन’ के प्रयासों के पीछे का चेहरा उजागर हो गया है और ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन द्वारा इसके लिए भुगतान किया गया है।’’

उन्होंने सोरोस की टिप्पणियों से संबंधित खबर ऐड करते हुए ट्वीट किया, ‘‘भारत में लोकतंत्र मजबूत है, लचीला है। वर्ष 2024 बहुत दूर नहीं है और सोरोस फिर गलत साबित होंगे।”

गुप्ता ने आगे कहा कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSS) वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने और शांति और स्थिरता के रास्ते तलाशने का एक मंच था, न कि संघर्ष का। सोरोस ने दावा किया, “भारत एक दिलचस्प मामला है। यह लोकतांत्रिक देश है, लेकिन इसके नेता नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि मोदी खुले और बंद समाज दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं।

सोरोस ने तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के बारे में कुछ बोलने से पहले कहा, “भारत क्वाड (जिसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान भी शामिल हैं) का सदस्य है, लेकिन यह भारी छूट पर बहुत सारा रूसी तेल खरीदता है और इस पर बहुत पैसा बचाता है।” उन्होंने कहा एर्दोआन और मोदी में बहुत साम्यता है।

सोरोस ने कहा कि हालांकि मोदी हाल तक मजबूती से अपनी पकड़ बनाए हुए दिखे हैं, जबकि एर्दोआन ने तुर्किये की अर्थव्यवस्था का खस्ता हाल कर दिया और वह मई में देश में चुनाव का सामना करेंगे। उनके सारे प्रयास चुनाव जीतने को लेकर केंद्रित दिखते हैं।

First Published : February 17, 2023 | 4:19 PM IST