अमेरिका द्वारा भारत के ज्यादातर निर्यात पर 50 फीसदी का उच्च शुल्क लगाए जाने की वजह से सितंबर महीने में अमेरिका भेजे जाने वाले रत्न और आभूषणों के निर्यात पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी अलग-अलग आंकड़ों के अनुसार सितंबर में अमेरिका को मोती, कीमती और अर्ध-कीमती रत्नों का निर्यात 76.7 फीसदी घट गया जबकि सोने और अन्य कीमती धातुओं के आभूषणों के निर्यात में 71.1 फीसदी की गिरावट आई।
सितंबर में सूती कपड़ों का निर्यात 36.2 फीसदी, समुद्री उत्पाद में 26.9 फीसदी, डेरी के लिए औद्योगिक मशीनरी में 28.1 फीसदी, रेडीमेड परिधान में 25 फीसदी, ड्रग फॉर्मूलेशन में 16.4 फीसदी और वाहन कलपुर्जों के निर्यात में भी 12 फीसदी की गिरावट आई है।
भारत से कुल कीमती रत्नों के निर्यात में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 37 फीसदी और सोने के आभूषणों के निर्यात में 28 फीसदी हिस्सेदारी है। इसी तरह ड्रग फॉर्मूलेशन के कुल निर्यात में करीब 40 फीसदी माल अमेरिका भेजा जाता है और रेडिमेड परिधान के कुल निर्यात में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 34 फीसदी है। इसी तरह भारत के समुद्री उत्पाद के कुल निर्यात में अमेरिका की 36 फीसदी और वाहन कलपुर्जों में 22 फीसदी की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
भारत के निर्यात पर 25 फीसदी का जवाबी अमेरिकी शुल्क 5 अगस्त से लागू हो गया जबकि रूस से तेल की खरीद के जवाब में भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी हुआ है, जिससे अमेरिका में भारतीय निर्यात पर कुल शुल्क 50 फीसदी हो गया है।
सितंबर में भारत से अमेरिका को होने वाला कुल निर्यात 11.9 फीसदी घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया। मई में निर्यात में गिरावट शुरू होने से पहले यह 8.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। हालांकि सितंबर में दूरसंचार उपकरणों का निर्यात 218.9 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का निर्यात 38.2 फीसदी और पेट्रोलियम उत्पाद का निर्यात 26.5 फीसदी बढ़ा था।
देश के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है। निर्यात में विविधता लाने के भारत के प्रयासों के बावजूद पिछले 14 वर्षों में निर्यात के लिए अमेरिका पर निर्भरता बढ़ी है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 1998-99 में 21.7 फीसदी के उच्च स्तर पर थी जो 2010-11 में घटकर 10.1 फीसदी रह गई थी। भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार करार पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों ने साल के अंत तक व्यापार समझौता करने का लक्ष्य रखा है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता उन्नत चरण में है। उन्होंने कहा, ‘महत्त्वपूर्ण बात यह नहीं है कि शुल्क कितना होगा बल्कि भारत को अपने प्रतिद्वंद्वियों पर तुलनात्मक लाभ क्या होगा, वह देखने वाली बात होगी। शुल्क का भुगतान भारतीय नहीं बल्कि अमेरिकी करते हैं। इसलिए बातचीत हमेशा उस प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को खोजने के लिए होती है जो हमें व्यापार बढ़ाने में मदद करेगी।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 18 अक्टूबर को बताया कि अमेरिका, भारत के मौजूदा बाजार उदारीकरण प्रस्ताव को देखते हुए प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत मौजूदा 50 फीसदी शुल्क को क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों पर लागू शुल्क से नीचे लाकर भारत को शुल्क का लाभ देने के लिए अनिच्छुक रहा है।