इक्विरस समूह के प्रबंध निदेशक अजय गर्ग
वेल्थ मैनेजमेंट में अपनी मौजूदगी में बढ़ोतरी की कोशिश कर रहे इक्विरस समूह के प्रबंध निदेशक अजय गर्ग का कहना है कि अमेरिका में निजी पूंजी से संचालित लिस्टिंग बूम की तरह भारत में भी निजी कारोबारों से सार्वजनिक स्वामित्व में बदलाव से बाजार की निरंतर वृद्धि को बल मिलेगा। समी मोडक को दिए ईमेल साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि अल्पकालिक अस्थिरता के बावजूद भारतीय बाज़ारों का दीर्घकालिक परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। संपादित अंश:
इक्विरस ने पिछले साल तीन अधिग्रहण पूरे किए हैं। इनमें सैपिएंट फिनसर्व का ताजा अधिग्रहण शामिल है। इन सौदों के रणनीतिक तर्क क्या थे और इनसे इक्विरस के दीर्घकालिक नजरिये को कैसे मदद मिलती है?
हमारी वृद्धि उद्देश्यपूर्ण है। हमने एक निजी इक्विटी (पीई) वितरण फ्रैंचाइज़ी की स्थापना से शुरुआत की और प्रमुख निवेशकों के लिए 100 से ज्यादा लेनदेन को अंजाम दिया। फिर हमने सार्वजनिक बाजारों में विस्तार किया और एक शोध आधारित संस्थागत प्लेटफॉर्म तैयार किया। आज इक्विरस मुख्य प्लेटफॉर्म के हर छह आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) में से एक में शामिल होता है, जिससे हमारे सार्वजनिक बाजार संबंधों की व्यापकता का पता चलता है।
भारत के कैपिटल पूल के बढ़ते असर और आधुनिकता को देखते हुए हमारे वेल्थ मैनेजमेंट और फैमिली ऑफिस कारोबार को मजबूत करना हमारा अगला तार्किक कदम है। सैपिएंट और अन्य प्लेटफॉर्म का अधिग्रहण करने से हम एक एकीकृत तालमेल मुहैया कराने में सक्षम हुए हैं यानी उद्यमियों और कारोबारों को विविध पूंजी स्रोतों से जोड़ते हुए निवेशकों को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में चुनिंदा और उच्च-गुणवत्ता वाले अवसर मुहैया कारना।
इन अधिग्रहणों के बाद इक्विरस वेल्थ और फैमिली ऑफिस प्लेटफॉर्म का कारोबार कितना बढ़ा है?
हम 2018 में ही वेल्थ मैनेजमेंट में आ गए थे। हमारी रणनीति ने हमें भारत में राजस्व के आधार पर 10 अग्रणी गैर-बैंक वेल्थ मैनेजरों में शामिल कर दिया है। केवल वित्तीय मानकों पर ध्यान देने के बजाय हमारा लक्ष्य ग्राहकों के लिए प्रासंगिक बने रहने की रही है – जिसे वॉलेट शेयर और हमारे प्लेटफॉर्म पर जुड़ाव की गतिविधियों से मापा जाता है। हम संपत्ति-सृजन के उनके सफर में भागीदार होते हैं।
सभी सेगमेंट में मूल्य सृजन अहम रहा है। हम बाजार पूंजीकरण को बढ़ाने और उससे कमाने के लिए उद्यमियों और संस्थानों के साथ सहयोग करते हैं। सैपिएंट के विलय के बाद इक्विरस वेल्थ का लक्ष्य प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों को 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना है। साथ ही विशिष्ट और दीर्घकालिक ग्राहक संबंधों को भी मजबूती से बरकरार रखना है।
बैंकों, फिनटेक फर्मों और वैश्विक वैल्थ मैनेजरों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ अमीरों को लुभाने और जोड़े रखने के लिए इक्विरस के पास क्या अनूठी बात है?
हमारे कई ग्राहक उद्यमी और व्यवसाय खड़ा करने वाले हैं। हमारी मजबूत निवेश बैंकिंग और शोध क्षमताएं हमें ऐसे साझेदार के रूप में स्थापित करती हैं, जो प्रासंगिक क्षेत्र का ज्ञान और भारी निवेश की समझ प्रदान करता है। यही बात हमें विशुद्ध निष्पादन प्लेटफॉर्म से अलग करती है यानी हमारी टीमें न केवल संपदा का प्रबंधन करती हैं बल्कि सलाहकार और पूंजी जुटाने की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए ग्राहकों को संपदा सृजन में भी सक्रिय रूप से सहयोग देती हैं।
आपने संकेत दिया है कि इक्विरस आईपीओ पर विचार कर सकती है। समय, तैयारी और शेयरधारिता के ढांचे के बारे में आपकी अभी सोच क्या है?
रेयर एंटरप्राइजेज (शुरुआत से ही साथ) और एमिकस (जिसने फेडरल बैंक के आंशिक रूप से बाहर निकलने के बाद निवेश किया) जैसे पीई समूहों के समर्थन की बदौलत आईपीओ हमारे लिए अगला स्वाभाविक कदम है। पीई समर्थित फर्मों की तरह हमारे निवेशकों के लिए तरलता सुनिश्चित करना हमारी ज़िम्मेदारी है और निकट भविष्य में आईपीओ एक विकल्प हो सकता है।
भारतीय इक्विटी पूंजी बाजार (ईसीएम) से आप निकटता से जुड़े हैं। ऐसे में घरेलू आईपीओ में जारी मौजूदा तेजी के क्या कारण हैं?
इसे समझने के लिए अमेरिकी अनुभव पर गौर करें। 1945 से 1975 तक अमेरिकी कॉरपोरेट वृद्धि मुख्यतः निजी पूंजी के वित्त से पोषित थी। अगले 30 वर्षों में निजीकरण और सार्वजनिक सूचीबद्धता की लहर ने वॉल स्ट्रीट की तेजी को बढ़ावा दिया। भारत के लिए 1945 वाला क्षण 1991 में तब आया जब आर्थिक उदारीकरण ने उद्यमशीलता को गति दी। उसके बाद 25 वर्षों तक काफी हद तक विदेशी पीई और रणनीतिक पूंजी की मदद से वृद्धि हुई।