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सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा में जानवर लाने के मामले में दी क्लीनचिट, किसी नियम का उल्लंघन नहीं पाया

अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए वनतारा ने कहा कि एसआईटी के निष्कर्षों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वनतारा के पशु कल्याण मिशन के खिलाफ उठाए गए संदेह और आरोप आधारहीन थे।

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- September 15, 2025 | 11:18 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित प्राणी उद्यान ‘वनतारा’ में जानवरों को लाने के मामले में क्लीनचिट दे दी है। अदालत ने कहा कि इसमें किसी तरह की अवैध प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। देश के वि​भिन्न हिस्सों एवं विदेश से जानवरों को वनतारा लाने में संबं​धित कानूनों के दुरुपयोग के आरोपों की जांच करने वाले विशेष जांच दल की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वनतारा द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया नियामक ढांचे के अनुरूप है। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है।

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे चेलामेश्वर के नेतृत्व में गठित इस एसआईटी में उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र चौहान, आईपीएस (मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त) हेमंत नागराले और आईआरएस (अपर आयुक्त, सीमा शुल्क) अनीश गुप्ता सदस्य के रूप में शामिल थे।

एसआईटी को भारत और विदेशों, विशेष रूप से हाथियों को वनतारा लाने की जांच करने के लिए कहा गया था। इसमें मुख्य रूप से यह देखना था कि क्या जानवरों को लाने में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघरों के नियमों का पालन किया गया है या नहीं।

इसके अलावा वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन तथा जीवित जानवरों से संबंधित आयात/निर्यात कानूनों में किसी तरह से उल्लंघन तो नहीं किया गया। जलवायु परिस्थितियों और वनतारा के औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थित होने के बारे में शिकायतों के साथ-साथ समिति को इसकी भी जांच करनी थी कि पशुपालन और पशु चिकित्सा देखभाल एवं पशु-कल्याण मानदंडों और मृत्यु के कारणों के मानकों का पालन हुआ या नहीं।

न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पीबी वराले के पीठ ने सोमवार को कहा कि वे सुनवाई के दौरान एसआईटी की रिपोर्ट को देखेंगे। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वनतारा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और याचिकाकर्ताओं के वकील उपस्थित थे, क्योंकि न्यायाधीशों ने संक्षेप में निष्कर्षों की समीक्षा की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मिथल ने कहा, ‘जानवरों का अधिग्रहण नियमों के अनुसार किया गया।’

अदालत ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट को उसके आदेश का हिस्सा बनाया जाएगा। मेहता और साल्वे दोनों ने आपत्ति जताते हुए चेताया कि रिपोर्ट सार्वजनिक होने से अटकलें शुरू हो सकती हैं। साल्वे ने तर्क दिया कि परिचालन विवरण में वाणिज्यिक गोपनीयता की एक डिग्री है।

साल्वे ने कहा, ‘वनतारा एक विश्व स्तरीय परियोजना है। सब कुछ बताने से केवल एक ऐसी कहानी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे इसकी अहमियत को कम कर सकती है।’ इस प्रकार की चिंताओं को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि वह निष्कर्षों से संतुष्ट है और इस मामले में बार-बार चुनौतियों की अनुमति नहीं देगी।

न्यायमूर्ति मिथल ने कहा, ‘एक बार जब स्वतंत्र विशेषज्ञ समि​ति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है, तो हम किसी को भी बार-बार सवाल उठाने की अनुमति नहीं देंगे। सभी प्राधिकरण सिफारिशों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं और आपकों उन्हीं नियमों का पालन करना होगा।’

अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए वनतारा ने कहा कि एसआईटी के निष्कर्षों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वनतारा के पशु कल्याण मिशन के खिलाफ उठाए गए संदेह और आरोप आधारहीन थे।

First Published : September 15, 2025 | 11:09 PM IST