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उद्यमिता पर छात्रों का जोर,अपनी किस्मत खुद को लिखना चाह रहे युवा

कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान उद्यमिता कौशल को बढ़ावा देने अथवा पारंपरिक रोजगार के मार्गों के चयन के बीच फंसे

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शिवानी शिंदे   
Last Updated- September 04, 2024 | 7:01 AM IST

भारतीय स्टार्टअप की सफलता अब सैकड़ों सपनों को पंख दे रही है क्योंकि कॉलेज से निकलने वाले अधिकतर युवा (फ्रेशर) अब अपना उद्यम शुरू करना चाह रहे हैं। एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, 67 फीसदी छात्र स्नातक पूरा करने के 10 वर्षों के भीतर अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं।

एआई आधारित रिक्रूटमेंट ऑटोमेशन फर्म हायर प्रो के अध्ययन में पता चला है कि 15 फीसदी छात्र स्नातक करने के तुरंत बाद ही उद्यमी बनने की राह पर चलना चाहते हैं, जबकि 23 फीसदी छात्र पढ़ाई पूरी करने के दो से तीन वर्षों के बाद यह राह अख्तियार करना चाहते हैं और 29 फीसदी छात्र ऐसे हैं जो स्नातक के 5 से 10 वर्षों के बाद वे अपना उद्यम शुरू करना चाहते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की अनेक स्टार्टअप कंपनियों की सफलता ने अरबों सपनों को पंख दिया है, जो बीते एक दशक में बड़े नाम बन गए हैं। अब युवा स्थायी नौकरी की चाहत नहीं रखते हैं बल्कि अपनी किस्मत खुद लिखना चाहते हैं।’

हायरप्रो की रिपोर्ट में 20 हजार से अधिक उम्मीदवार, 350 से अधिक कॉलेज और 200 कॉरपोरेट के साथ 100 से अधिक कैंपस में जाकर प्रतिभा का चयन करने वालों का साक्षात्कार शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खुद का उद्यम शुरू करने की युवाओं के इस सपने को कॉलेजों द्वारा भी पंख दिया जा रहा है। वहां उन्हें उद्यमिता का पाठ पढ़ाया जा रहा है।

सर्वेक्षण से पता चला है कि 36 फीसदी से अधिक संस्थान उद्यमिता पर आधारित पाठ्यक्रम पेश करते हैं अथवा स्टार्टअप सेमेस्टर का भी विकल्प देते हैं। इससे औपचारिक तौर पर इस शिक्षा पर बढ़ते जोर को दर्शाया जाता है। इसके अलावा 29 फीसदी कॉलेजों ने नवोन्मेष, उद्यमिता डेवलपमेंट सेल अथवा स्टार्टअप इन्क्यूबेशन के लिए सुविधा केंद्र स्थापित किए हैं, जो उभरते उद्यमियों पूरी जानकारी देने के लिए वैसा ही परिवेश तैयार कर रहे हैं।
उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और व्यावहारिक अनुभव देने के लिए 28 फीसदी कॉलेजों ने प्रतियोगिता, पिच इवेंट्स और हैकाथॉन जैसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिससे छात्रों को स्टार्टअप परिवेश का व्यावहारिक अनुभव मिलता है।

महानगरों में 62 फीसदी और बड़े शहरों में 44 फीसदी ऐसे कार्यक्रम किए जाते हैं। मझोले शहर 27 फीसदी के साथ इनके बाद आते हैं। अध्ययन में उच्च शिक्षा में भी उद्यमिता के महत्त्व के बारे में बताया गया है। साथ ही अध्ययन से स्टार्टअप परिवेश को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होने के बारे में भी पता चला है।

रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में काफी जटिल उद्यमिता परिदृश्य है। 87 फीसदी कॉलेजों ने विभिन्न पहलों के जरिये उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए अपने संस्थानों में ही कार्यक्रम शुरू किया है, जबकि 63 फीसदी संस्थान ऐसे हैं जो चाहते हैं छात्र स्नातक पूरा करने के बाद अपना उद्यम शुरू करने के बजाय कॉरपोरेट नौकरियां हासिल करने पर ही अपना ध्यान केंद्रित करे।

सिर्फ 7 फीसदी कॉलेज ही ऐसे हैं जो उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम और इसके लिए परामर्श आदि देने पर ध्यान देते हैं। उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देने अथवा पारंपरिक रोजगार को बढ़ावा देने के बीच अभी भी भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए चुनौतियां बनी हुई हैं।

First Published : September 4, 2024 | 7:01 AM IST