facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

सुप्रीम कोर्ट का सवाल: नकदी मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा ने जांच को चुनौती देने में देर क्यों की?

सुप्रीम कोर्ट ने नकदी विवाद में जांच प्रक्रिया को देर से चुनौती देने पर जस्टिस वर्मा से जवाब मांगा।

Last Updated- July 28, 2025 | 11:01 PM IST
Supreme Court of India
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा से पूछा कि उन्होंने अपने आवासीय परिसर के बाहरी हिस्से में ​स्थित कमरे से अधजली नकदी मिलने के बाद अपनाई गई प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए सोमवार तक का इंतजार क्यों किया। न्यायमूर्ति वर्मा के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से न्यायाधीशों ने कहा, ‘क्या आप यह उम्मीद कर रहे थे कि निर्णय आपके पक्ष में आ जाए? आप एक संवैधानिक प्राधिकारी हैं। आप यह नहीं कह सकते कि मुझे नहीं पता।’

जब नकदी मिली थी तब वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने अदालत को बताया कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की तीन न्यायाधीशों की जांच रिपोर्ट पर आधारित सिफारिश उन्हें हटाने का आधार नहीं हो सकती। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने यह भी तर्क दिया है कि एक मौजूदा न्यायाधीश का आचरण विधायी प्रक्रिया शुरू होने से पहले सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा नहीं हो सकता। उनके मामले में एक संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन किया गया।

न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर नकदी मिलने के आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर मिली नकदी का कोई हिसाब नहीं है और वह यह समझाने में भी असमर्थ रहे कि यह रकम कहां से आई। इस आधार पर उनके ​खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई सही है। 

First Published - July 28, 2025 | 10:39 PM IST

संबंधित पोस्ट