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विदेश में भारतीय पेशेवरों की बढ़ रही मांग: एस जयशंकर

इजरायल से जापान और जर्मनी तक भारतीय प्रतिभा के लिए खुल रहे नए दरवाज़े, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लॉन्च किया गति फाउंडेशन

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- May 06, 2025 | 10:37 PM IST

भारतीय पेशेवर दुनियाभर में अपनी अलग छाप छोड़ रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि जापान, मॉरीशस, जर्मनी समेत कई अन्य देश भी भारतीय प्रतिभाओं को लुभा रहे हैं, जबकि मलेशिया और सिंगापुर में भी इनकी काफी मांग है। भारतीय प्रतिभाओं के लिए प्रमुख वैश्विक बाजारों का रास्ता आसान बनाने के मकसद से आव्रजन-केंद्रित पहल ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया (गति) फांउडेशन की लॉन्चिंग के मौके पर जयशंकर ने कहा कि इजरायल की तरह ही मॉरीशस भी अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने के लिए भारतीय कामगारों को अपने यहां बुलाना चाहता है। इस संबंध में उसने भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘सोमवार को ही जापान के स्पीकर नई दिल्ली में एक कार्ययोजना लेकर आए थे जो ठोस और पूर्वानुमानित तरीके से भारतीय कुशल कामगारों के लिए उनके देश में काम करने की स्थितियों को आसान बनाएगी। इससे दोनों देशों के बीच कुछ साल पहले हुए विशेष कुशल कामगार समझौते को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।’

मंत्री ने कहा कि 22 देशों के साथ किए गए इस तरह के समझौते से ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे देशों में भारतीय कामगारों की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भारतीयों के लिए रोजगार वीजा को 4 गुना बढ़ाने की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘इटली में मेरे समकक्ष और मैं यहां मौजूद राजदूत के समक्ष कहता हूं कि स्पेन, ऑस्ट्रिया, यूनान आदि सभी देशों ने हमारे मानव संसाधन पूल का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने की इच्छा जाहिर की है। यह तो अभी शुरुआत है।’

भारत ने मई, 2023 में मुख्य रूप से निर्माण उद्योग में काम करने को 42,000 भारतीय कामगारों को भेजने के लिए इजरायल के साथ समझौता किया था। दोनों ही पक्ष इस समझौते को और आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल मार्च के शुरू तक 6,694 भारतीय कामगार इजरायल पहुंच चुके हैं। वे वहां 195 इजरायली कंपनियों में काम कर रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि 3.4 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग (पीआईओ) विदेशों में रहकर काम करते हैं। इनमें से लगभग आधे भारतीय नागरिक हैं। जयशंकर ने कहा, ‘वैश्विक रुझानों को देखते हुए कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में यह संख्या और बढ़ेगी।’ विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश में पेशेवरों की आवाजाही मामलों को आव्रजन अधिनियम 1983 के तहत संभाला जाता है। सरकार इस कानून में वर्तमान जरूरतों के हिसाब से संशोधन करने के लिए आकलन कर रही है।

क्या है गति फाउंडेशन

‘वैश्विक प्रतिभा केंद्र’ के रूप में भारत को स्थापित करने के अपने लक्ष्य के तहत गति का उद्देश्य सरकारों, व्यवसायों और गैर-लाभकारी संगठनों के समझौते कर एक व्यवस्थित पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है ताकि भारतीय कामगारों के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंच आसान हो जाए। इसका उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद में विदेशों से आने वाली रकम की हिस्सेदारी को मौजूदा 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4-5 प्रतिशत तक करना है, जिससे देश में 170 अरब डॉलर आएंगे। यही नहीं, इस का एक और लक्ष्य वार्षिक स्तर पर प्रवासी प्रवाह को 20 से 25 लाख तक बढ़ाना है।

इस संस्था को आशीष धवन के नेतृत्व वाले कन्वर्जेंस फाउंडेशन, गोदरेज फाउंडेशन और टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष मनीष सभरवाल ने मिलकर स्थापित किया है। अपने उद्देश्य और लक्ष्यों को हासिल करने के लिए साझेदारी मजबूत करने को फाउंडेशन कुछ राज्यों और केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।

First Published : May 6, 2025 | 10:37 PM IST