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आरक्षण के लिए अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार राज्यों को देने संबंधी उच्चतम न्यायालय का फैसला लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है। दलितों में अपनी पैठ मजबूत करने के उद्देश्य से हरियाणा की नवगठित नायब सिंह सैनी सरकार ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में शुक्रवार को इस फैसले पर मुहर लगा दी।
हरियाणा में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है। हरियाणा में विधान सभा चुनाव को देखते हुए राज्य की सैनी सरकार ने 1 अगस्त को आए दलित जातियों में उप-वर्गीकरण संबंधी फैसले के एक पखवाड़े बाद ही हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी। इस आयोग ने अनुसूचित जातियों में वंचित वर्ग के लिए राज्य की सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की थी। इसका ऐलान चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया था।
लोक सभा चुनाव में भाजपा को राज्य की 10 में से पांच सीट मिली थीं। पार्टी सिरसा और अंबाला की सुरक्षित सीटें भी हार गई थी। इससे सैनी सरकार को अंदाजा हो गया था कि दलित वर्ग भाजपा से छिटक सकता है। इसलिए विधान सभा चुनाव से पहले सैनी ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं के जरिए दलितों को लुभाने की कवायद शुरू कर दी थी।
भाजपा का पूरा जोर हरियाणा में अनुसूचित वर्ग में बाल्मीकि और धनक जैसी कुछ अप्रभावी जातियों को अपने पाले में करने पर था। सीएसडीएस के आंकड़ों के मुताबिक चुनाव में 50 प्रतिशत जाटवों ने कांग्रेस जबकि 35 प्रतिशत ने भाजपा को वोट दिए। इस तबके की अन्य जातियों में 45 प्रतिशत ने भाजपा और 33 प्रतिशत ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।
भाजपा को इस विधान सभा चुनाव में आरक्षित 17 में से आठ सीटें मिली हैं। वर्ष 2020 की फरवरी में हरियाणा सरकार ने अनुसूचित वर्ग के लिए सरकारी शिक्षण संस्थानों में निर्धारित 20 प्रतिशत आरक्षण में वंचित जातियों का उप आरक्षण 50 प्रतिशत तक बढ़ाने संबंधी विधेयक पेश किया था। जाटवों को छोड़ सरकार ने 36 जातियों को वंचित वर्ग में चिह्नित किया था। विधेयक में कहा गया था कि राज्य सरकार की नौकरियों में वंचित अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से भी कम है, जबकि उनकी जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 11 प्रतिशत है। इसमें यह भी जिक्र किया गया था कि जनगणना 2011 के अनुसार वंचित अनुसूचित जातियों के 46.75 प्रतिशत लोग अशिक्षित थे।
जनगणना के आधार पर हरियाणा में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 20.2 प्रतिशत है। इनमें अनुसूचित जातियों में जाटव 50 प्रतिशत, बाल्मीकि 25-30 प्रतिशत, धनक 10 प्रतिशत और शेष छोटी जातियां 34 प्रतिशत थीं।
वर्ष 1994 में तत्कालीन राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों को दो वर्गों में विभाजित किया था और उप-आरक्षण को बराबर दो भागों में बांटा था। वर्ष 2006 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया था। हालांकि प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सात जजों के संविधान पीठ ने अपने फैसले में 1 अगस्त 2024 को अनुसूचित जातियों में आरक्षण का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार राज्यों को दे दिया।
भाजपा ने दलितों में वंचित जातियों को लुभाने की कवायद के तहत ही इस बार बाल्मीकि जयंती के दि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह रखा। यही नहीं, मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले नायब सिंह सैनी ने पंचकुला में बाल्मीकि मंदिर जाकर पूजा अर्चना की। एक्स पर एक पोस्ट में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने हरियाणा सरकार के फैसले को दलितों को बांटने और आरक्षण को अप्रभावी बनाने की साजिश करार दिया है।