पिछले पांच सालों में रेल दुर्घटनाओं का आंकड़ा चिंताजनक है। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल औसतन 44 गंभीर रेल दुर्घटनाएं होती हैं। भारतीय रेलवे के अनुसार, गंभीर रेल दुर्घटनाओं में वो घटनाएं शामिल हैं जिनमें यात्रियों को गंभीर चोटें लगती हैं, जानमाल का नुकसान होता है, रेल यातायात बाधित होता है और रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचता है।
अगर तुलना करें, तो साल 2000-01 में 470 से अधिक गंभीर रेल दुर्घटनाएं हुई थीं, यानी हर महीने औसतन 39 दुर्घटनाएं होती थीं। बीते दो दशकों में गंभीर रेल दुर्घटनाओं की संख्या में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है। यह गिरावट लगातार जारी रही और महामारी के दौरान भी कम यात्री ट्रेनों के चलने के बावजूद 2020-21 में 22 और 2021-22 में 35 रेल दुर्घटनाएं हुईं।
रेल दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन ये आंकड़े अभी भी चिंताजनक हैं। पिछले पांच सालों में औसतन हर साल 44 गंभीर रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। गौर करने वाली बात ये है कि ज्यादातर दुर्घटनाओं का कारण ट्रेन का पटरी से उतरना होता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में टक्कर की संख्या भी बढ़ रही है। साल 2018-19 में कुल 59 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें से सबसे ज्यादा 46 दुर्घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुई थीं।
वहीं 6 दुर्घटनाएं ट्रेन में आग लगने के कारण हुईं और 3-3 दुर्घटनाएं मानव नियंत्रित और मानव रहित लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाओं के कारण हुईं। गौर करने वाली बात ये है कि उस साल किसी भी दुर्घटना का कारण टक्कर नहीं था। अब हाल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2022-23 में कुल 48 दुर्घटनाएं हुईं।
इनमें से 6 टक्कर के कारण हुईं, जबकि 36 दुर्घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुईं। इसी तरह जुलाई 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में भी अब तक 4 टक्कर हो चुकी हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले 64 महीनों में 18 टक्कर गंभीर रेल दुर्घटनाओं का कारण बनी हैं। यानी औसतन हर 3.6 महीने में एक टक्कर हुई है। हालांकि कुल दुर्घटनाओं की संख्या कम हुई है, लेकिन टक्कर की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।
पश्चिम बंगाल में बड़ी रेल दुर्घटना!
सोमवार तड़के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ मालगाड़ी की टक्कर हो गई। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई और 54 अन्य घायल हो गए।
सिग्नल सिस्टम के आधुनिकीकरण और रेल सुरक्षा उपायों के अपग्रेडेशन की जरूरत
यह घटना रेलवे सिग्नल सिस्टम के आधुनिकीकरण और रेल सुरक्षा उपायों के अपग्रेडेशन की जरूरत को बताती है। उल्लेखनीय है कि जून 2023 में ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना के बाद से ही रेलवे सुरक्षा पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। उस भीषण दुर्घटना में करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी और 1000 से अधिक लोग घायल हुए थे। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भारत की सबसे खतरनाक रेल दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है।
रेल दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2022-23 में मध्य रेलवे क्षेत्र में सबसे ज्यादा हादसे हुए। लोकसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक 2022-23 में पूरे देश में 8 लोगों की मौत और 81 लोग घायल हुए।
2022-23 में कुल 48 रेल दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से 8 यानी 17 फीसदी मध्य क्षेत्र में हुईं। इस क्षेत्र में मुंबई, नागपुर, भुसावल, पुणे और शोलापुर जैसे मंडल शामिल हैं। मध्य क्षेत्र के बाद पूर्व मध्य क्षेत्र और उत्तरी क्षेत्र में 6-6 दुर्घटनाएं हुईं। देश के 18 रेलवे जोनों में से छह जोनों में कोई दुर्घटना नहीं हुई, इनमें पूर्वोत्तर, दक्षिण पश्चिम, दक्षिण, पश्चिम मध्य, कोंकण और मेट्रो रेलवे शामिल हैं।