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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले 40 दिनों के दौरान चार देशों की यात्रा पर रहेंगे। प्रधानमंत्री अपनी यात्रा की शुरुआत शुक्रवार से जापान के हिरोशिमा में आयोजित होने वाले जी-7 देशों के सम्मेलन के साथ करेंगे। उनकी चार देशों की लंबी यात्रा का समापन 21 से 24 जून तक अमेरिका के राजकीय दौरे के साथ हो जाएगा। मोदी अमेरिका यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में भाग लेंगे और शिकागो में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री पिछली बार जी-20 देशों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए इंडोनेशिया गए थे। जापान में जी-7 की बैठक में हिस्सा लेने और अमेरिका के राजकीय दौरे पर जाने के अलावा मोदी 24 मई को क्वाड की बैठक में भाग लेने ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले पापुआ न्यू गिनी में प्रशांत द्वीपीय देशों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। सिडनी में क्वाड समूह सम्मेलन में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के नेताओं की तीसरी प्रत्यक्ष बैठक होगी।
मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति क्वाड सम्मेलन में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले पापुआ न्यू गिनी की राजधानी मोर्सबी में रुकेंगे। फोरम फॉर इंडिया-प्रशांत आइलैंड्स कोऑपरेशन (एफआईपीआईसी) शिखर सम्मेलन के हिस्से के तौर मोदी की पापुआ न्यू गिनी की यात्रा महत्त्वपूर्ण होगी। इसका कारण यह है कि ऑस्ट्रेलिया के ठीक उत्तर में बसे संसाधनों से समृद्ध इस देश पर प्रभाव जमाने के लिए चीन और अमेरिका दोनों ही प्रयास कर रहे हैं। चीन और ऑस्ट्रेलिया इस देश को आधारभूत ढांचे के लिए धन मुहैया करने वाले दो प्रमुख देश हैं।
भारत को भी समय रहते अपने वादे पूरे करने होंगे। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे के कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने मोदी की आगामी यात्रा पर चर्चा करने के लिए राजधानी पोर्ट मोर्सबी में भारत के राजदूत के साथ चर्चा की थी। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच होने वाले संभावित समझौतों और विचाराधीन सौदों पर भी बात की।
मरापे ने कहा कि जिन समझौतों के मसौदे क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाए उनमें एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया से 10 करोड़ डॉलर का ऋण और स्वास्थ्य सुविधा एवं स्वास्थ्य विज्ञान सहयोग आदि शामिल है। ये दोनों समझौते अप्रैल 2016 में हुए थे। इनके अलावा दोनों देशों के बीच सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में एफआईपीआईसी नेताओं की बैठक में 15 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा को लेकर भी समझौता हुआ था।
मरापे ने कहा कि भारतीय अधिकारियों से कहा कि उन्होंने अपने देश के खजांची, कार्य एवं स्वास्थ्य विभागों से भारत के साथ हुए उन समझौतों के मसौदों की रिपोर्ट बुधवार तक सौंपने के लिए कहा है जिन पर अब तक क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
एफआईपीआईसी का शुरुआत नवंबर 2014 में फिजी की राजधानी सुवा में हुई थी। मोदी ने तब प्रशांत महासागर में बसे 14 द्वीपीय देशों के नेताओं ने साथ मुलाकात की थी। मोदी की यात्रा के बाद दो दिनों बाद चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री शी चिनफिंग सुवा पहुंचे थे। एफआईपीआईसी की दूसरी बैठक 2016 में जयपुर में हुई थी।
अपने आगामी विदेश दौरे में मोदी हिरोशिमा और सिडनी में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करेंगे। जी-7 सम्मेलन और क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद मोदी अमेरिका के राजकीय दौरे पर जाएंगे। इससे पहले नवंबर 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राजकीय दौरे पर अमेरिका गए थे जहां बराक ओबामा का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था।
राजकीय दौरे में कई समारोह एवं आयोजन होते हैं। इनमें फ्लाइट लाइन सेरेमनी, व्हाइट हाउस पहुंचने पर 21 तोपों की सलामी, व्हाइट हाउस में रात्रि भोज, कूटनीतिक तोहफों का आदान-प्रदान, ब्लेयर हाउस (पेन्सिलवेनिया में अमेरिकी राष्ट्रपति का अतिथि गृह) में ठहरने और फ्लैग लाइन्ड स्ट्रीट घूमने का आमंत्रण शामिल होते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी 22 जून को राजकीय भोज में भी हिस्सा लेंगे।
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की यह छठी अमेरिकी यात्रा होगी। संयुक्त राष्ट्र और वॉशिंगटन में कूटनीतिक बैठकों के अलावा उनके पिछले दौरों में भारतीय मूल के लोगों द्वारा उनके सम्मान में सामुदायिक स्वागत भी किए गए हैं। सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन पर भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया था। इसके पांच वर्षों बाद उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ ह्यूस्टन में भी भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया था।
भारतीय मूल के लोग, खासकर गुजरात से गए लोग भाजपा के लिए समर्थन के मुख्य स्रोत रहे हैं। इन लोगों ने नवंबर-दिसंबर 2022 के दौरान गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के लिए चंदा भी दिया था। इन बैठकों के बाद भारत इसी साल सितंबर में नई दिल्ली में जी-20 देशों का सम्मेलन भी आयोजित करेगा। भारत और अमेरिका के संबंध हाल के महीनों में और मजबूत हुए हैं और इन पर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद का भी कोई असर नहीं हुआ है।