Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग, मणिपुर में ताजा हिंसा, दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण और संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए अड़े विपक्ष ने भारी हंगामा किया।
इस कारण दोनों सदनों की कार्यवाही एक-एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अदाणी मामले में सच सामने आना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि वह इस बात से बेहद निराश हैं कि दोनों सदनों में विपक्ष को नियम 267 के तहत यह मुद्दा उठाने की इजाजत नहीं दी गई। नियम 267 के अंतर्गत सदन के अध्यक्ष की अनुमति मिलने पर दिन भर के कामकाज के लिए सूचीबद्ध मामलों को रोककर अनिवार्य मुद्दे पर चर्चा कराई जा सकती है।
राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को संसद सत्र के पहले दिन नियम 267 के अंतर्गत पेश किए गए 13 नोटिसों को खारिज कर दिया, जिनमें सात नोटिस अमेरिका में अदाणी समूह के मालिक गौतम अदाणी समेत सात अन्य लोगों के खिलाफ कथित रूप से 2,200 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत दिए जाने के मामले से जुड़े थे। इसी तरह के नोटिस लोक सभा में भी दिए गए थे, जिन्हें स्वीकार नहीं किया गया।
एक्स पर एक वीडियो संदेश में खरगे ने कहा, ‘जिस देश में भी प्रधानमंत्री मोदी जाते हैं, वहीं अदाणी को ठेके मिल जाते हैं। ऐसे मामलों की बहुत लंबी सूची है। यही कारण है कि हम इस मुद्दे पर सदन में चर्चा चाहते हैं, ताकि सच सामने आ सके।’
खरगे ने कहा, ‘जब जून 2015 में प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश गए थे तो उन्हें वहां बाद में अदाणी को ऊर्जा परियोजना का ठेका मिल गया। मलेशिया, इजरायल, सिंगापुर, श्रीलंका, नेपाल, तंजानिया, वियतनाम, यूनान आदि कोई भी देश हो, जहां-जहां प्रधानमंत्री मोदी का दौरा हुआ, बाद में वहां अदाणी को किसी न किसी परियोजना का ठेका मिल गया। केन्या का ताजा उदाहरण है, जहां जनता के दबाव में वहां की सरकार ने अदाणी का ठेका रद्द कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी के आशीर्वाद के बिना कोई देश कैसे अदाणी पर इतना मेहरबान हो सकता है? भारत में इतने नामचीन निवेशक हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं पूछता। यह सब प्रधानमंत्री की मदद से हो रहा है, लेकिन इसका देश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हम सदन में यह मुद्दा उठाना चाहते थे, लेकिन इजाजत नहीं दी गई।’
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव और अन्य राज्यों में उपचुनाव में हालिया हार से हताश होकर विपक्ष संसद की कार्यवाही को बाधित कर रहा है।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘क्या चुनावों की हार से उपजी हताशा के कारण आप संसद नहीं चलने देंगे? यह उचित व्यवहार नहीं है।’
इससे पहले दिन में संसद सत्र शुरू होने से पहले अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर करारा हमला बोला और कहा कि 80-90 बार देश की जनता द्वारा ठुकराया जा चुके विपक्षी दल संसद पर अपने फायदे के लिए हुड़दंगबाजी से अपना नियंत्रण करना चाहते हैं।
सोमवार को जैसे ही सत्र की शुरुआत हुई, दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के कारण शून्यकाल एवं प्रश्नकाल बाधित हो गए। लोकसभा में कुछ विपक्षी सदस्य एक उद्योगपति से जुड़े मामले और उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को हुई हिंसा के मुद्दे को उठाने का प्रयास करने लगे। कुछ विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया।
एक अन्य मामले में विपक्षी सदस्यों ने वक्फ संशोधन विधेयक के मुद्दे पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे इस मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल की शिकायत की।
उन्होंने आरोप लगाया कि वह इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं। विपक्षी सदस्यों ने समिति का तार्किक रूप से समय बढ़ाने की भी मांग उठाई, ताकि इस पर व्यापक और संतुष्टिप्रद चर्चा हो सके।