उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को अभ्यर्थियों की पहचान गुप्त रखते हुए 20 जुलाई की दोपहर 12 बजे तक नीट-यूजी 2024 के केंद्र और शहर-वार परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि नतीजे जारी करते वक्त सभी छात्रों की पहचान को गुप्त रखना होगा।
अदालत ने याचियों से भी कहा कि दोबारा परीक्षा कराने के लिए यह साबित करना होगा कि पेपर व्यापक स्तर पर व्यवस्थित तरीके से लीक हुए और पूरी परीक्षा प्रणाली की शुचिता प्रभावित हुई है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘याचियों ने यह मांग की है कि यदि नीट-यूजी 2024 का परिणाम वेबसाइट पर प्रकाशित होगा तो इससे पारदर्शिता तो आएगी ही, यह भी पता चल जाएगा कि किस केंद्र पर किस छात्र को कितने नंबर हासिल हुए।’
शीर्ष अदालत याचिकाओं पर 22 जुलाई को दोबारा सुनवाई करेगी। दोबारा परीक्षा कराने की मांग कर रहे याचियों से न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की सदस्यता वाले पीठ ने कहा कि इसके लिए उन्हें यह साबित करना होगा कि पेपर व्यापक स्तर पर व्यवस्थित तरीके से लीक हुआ है।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि प्रश्नपत्र लीक की घटना पटना और हजारीबाग तक ही सीमित थी तथा गुजरात के गोधरा में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। पटना और हजारीबाग में प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक हो गए, जबकि गोधरा में दावा किया गया कि परीक्षा आयोजित कराने वाले एक व्यक्ति ने कुछ अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट भरने के लिए पैसे लिए।
सोशल मीडिया मंच ‘टेलीग्राम’ पर प्रश्नपत्र लीक होने के दावों पर सवाल उठाते हुए पीठ ने कहा, ‘आपको यह बात ध्यान में रखनी होगी कि ऐसा करने का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर दिखावा करना नहीं था। लोगों ने यह पैसे के लिए किया। इसलिए, यह परीक्षा को बदनाम करने के लिए नहीं था और कोई व्यक्ति पैसे कमाने के लिए ऐसा कर रहा था जो स्पष्ट है।
बड़े पैमाने पर लीक के लिए उस स्तर पर संपर्कों की भी आवश्यकता होती है, ताकि आप विभिन्न शहरों में ऐसे सभी प्रमुख संपर्कों से जुड़ सकें।’ इस मामले की जांच के मुद्दे पर पीठ ने कहा, ‘सीबीआई जांच कर रही है। सीबीआई ने हमें जो बताया है कि अगर उसका खुलासा कर दिया जाता है तो इससे जांच पर असर पड़ेगा।’ (साथ में एजेंसियां)