वायरस के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की स्थिति को नियंत्रित करने में केरल की कामयाबी की एक बार फिर चर्चा हो रही है। राज्य में निपाह वायरस के प्रसार को कई बार रोका गया और कोविड-19 महामारी के दौरान भी जांच और निगरानी की प्रक्रिया भी बेहद सफल रही। ताजा मामला निपाह के दोबारा प्रसार का है और इस बार भी केरल ने यह साबित कर दिया कि इसके संक्रमण के फैलने से पहले ही इसकी तैयारी अच्छी थी।
केरल में 12 सितंबर को निपाह वायरस के प्रसार की आधिकारिक पुष्टि की गई थी। शुरुआत में संक्रमण के छह मामले सामने आए थे लेकिन बाद में कोई नया मामला नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, संक्रमण को रोकने में सफलता इस वजह से मिली क्योंकि इस साल मार्च से ही जमीनी स्तर की निगरानी शुरू कर दी गई थी।
कोझिकोड जिले में एक सप्ताह से भी अधिक समय तक निपाह वायरस के संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आने के बाद सोमवार से जिले के शिक्षण संस्थानों में नियमित कक्षाएं शुरू हो गईं। जिले में निपाह वायरस के संक्रमण से दो लोगों की जान जा चुकी है। 16 सितंबर से इसका कोई नया मामला नहीं आया है। जिले में सभी शिक्षण संस्थान 14 सितंबर से बंद थे और ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं।
संक्रमण के प्रसार को रोकने के उपायों के तहत ही कोझिकोड के एक सरकारी गेस्ट हाउस में एक वॉर रूम बनाया गया और यह वही जिला है जहां इस साल संक्रमण के सभी मामले सामने आए थे। संक्रमण को रोकने के लिए 190 सदस्यों की 19 विशेष टीमें बनाई गईं जिसमें, स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष सदस्यों और अधिकारियों की नियमित उपस्थिति होती थी और इसके अलावा 200 वॉलंटियर की एक अलग टीम थी।
राज्य ने इस काम में अपने पुलिस और वन विभाग के कर्मियों की सेवाएं भी तय कर दीं। संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान इस स्तर तक की गई कि पुलिस ने मरीजों के मोबाइल टावर लोकेशन पर नजर रखते हुए एक साइबर विशेषज्ञ की मदद से उनके यात्रा मार्ग का नक्शा भी तैयार किया ताकि कोई लिंक छूट न जाए। इसके अलावा टाइमस्टैम्प के साथ मरीजों के जाने वाले रास्ते के मानचित्रों को भी प्रसारित किया गया था।
निपाह का पहला मामला 30 अगस्त को सामने आया। कोझिकोड के जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने पहले ही नौ पंचायतों के संक्रमण नियंत्रित क्षेत्र में ढील देने की घोषणा कर दी है।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पिछले सप्ताह कहा था कि कोझिकोड में संक्रमण अब नियंत्रण में है लेकिन इस संक्रामक रोग का खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
पश्चिम बंगाल (वर्ष 2001 और 2007 में) के अलावा केरल एकमात्र भारतीय राज्य है, जहां निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं। राज्य में पिछली बार यह संक्रमण मई 2018, जून 2019 और सितंबर 2021 में देखा गया था।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा है कि संक्रमण नियंत्रण में है और ज्यादा जोखिम वाले संपर्कों के 200 से अधिक नमूनों की जांच नकारात्मक रही है। करीब 1,300 लोगों का पता लगाया गया था जिन्हें ज्यादा जोखिम और कम जोखिम वाले संपर्कों में वर्गीकृत किया गया है।