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लू से निपटने के लिए बन रही नई व्यवस्था

50 डिग्री तापमान के खतरे के बीच राज्यों के लिए होगी कार्रवाई योग्य योजना, 15वें वित्त आयोग की निधि का भी इस्तेमाल

Last Updated- March 20, 2025 | 11:09 PM IST
Weather: Heatwave

देश में आपदा प्रबंधन की सर्वोच्च एजेंसी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) लू का प्रभाव कम करने और इससे जुड़े मामलों से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा बनाने पर काम कर रहा है। भीषण गर्मी मानव ही नहीं, अन्य जीव-जंतुओं के समक्ष गंभीर संकट खड़ा कर देती है। इससे शहरी जीवन, बुनियादी ढांचा और कृषि आदि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होते हैं और कई जगह लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता है। मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय ढांचे का उद्देश्य गर्मी और लू के कारण सामाजिक एवं आर्थिक मोर्चे पर खड़ी होने वाली परेशानियों एवं चुनौतियों से निपटना है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘भीषण लू का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हम इसके प्रभाव को कम करने एवं हालात से निपटने के लिए राष्ट्रीय ढांचा तैयार कर रहे हैं।’ अधिकारी ने बताया कि इसके तहत समुदाय आधारित, कार्रवाई योग्य, संसाधनों से पूर्ण और स्थानीय सरकारों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली कार्ययोजना बनाने के तरीके सुझाए जाएंगे।

गर्मी के पिछले सीजन में देश में खासकर पूर्वी और उत्तरी-पश्चिमी हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को छू गया था और इस साल तो गर्मियों के समय से पहले दस्तक दे रही है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अभी से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है। यही नहीं, बीते फरवरी को दुनिया में 125 वर्षों में सबसे अधिक गर्म महीना घोषित किया गया था।

एक और अधिकारी ने बताया कि करीब 6-7 महीने पहले शुरू किए गए लू शमन और तैयारी ढांचे (एचएमपीएफ) पर अभी भी विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है। इस तरह तैयार किया जा रहा है ताकि 15वें वित्त आयोग कोष को राज्यों को जारी करने में आसानी हो, जिससे नए बजट आवंटन की आवश्यकता न पड़े। आपदा प्रबंधन के लिए 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 के लिए 2.25 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए थे। इसमें 70 प्रतिशत धनराशि राज्यों को आवंटित की जाती है और केवल 30 प्रतिशत ही केंद्र सरकार द्वारा खर्च करने के लिए रखी जाती है।

अधिकारी ने कहा, ‘एक बार गृह मंत्रालय से यह ढांचा मंजूर हो जाए, उसके बाद 15वें वित्त आयोग निधि आवंटन के साथ राज्य आधारित लू शमन परियोजना तैयार की जा सकती है।’ अधिकारी ने यह भी कहा कि चूंकि भीषण लू का सबसे ज्यादा कुप्रभाव मानव स्वास्थ्य पशुओं, फसलों और बुनियादी ढांचे पर पड़ता है, इसलिए प्रस्तावित नए ढांचे में सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। इसलिए एनडीएमए स्वास्थ्य, पशुपालन, कृषि, पृथ्वी विज्ञान और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालयों के संपर्क में बना हुआ है।

इस संबंध में प्रतिक्रिया जानने के लिए संबंधित मंत्रालयों के प्रवक्ताओं, सचिवों और एनडीएमए प्रमुख को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला। ‘क्या गर्म होती दुनिया के लिए भारत तैयार है’ विषय पर हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव के विजिटिंग फेलो आदित्य पिल्लई ने कहा, ‘मौजूदा समय में गर्मी और लू से निपटने के इंतजाम करना जितना आवश्यक है, भविष्य को लेकर योजना बनाने पर भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए। जोखिम कम करने के दीर्घावधि उपायों में से कई को पूरा करने में अभी वर्षों लग जाएंगे। इसलिए उन्हें अभी से प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाना चाहिए। इससे आने वाले दशकों में मृत्युदर बढ़ने से रोकने एवं आर्थिक हानि होने से बचाने में काफी मदद मिलेगी।’

महत्त्वपूर्ण यह है कि भविष्य में भारत के शहरों के विस्तार और विकास को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जाएं।’ इसी सप्ताह जारी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बेंगलूरु, दिल्ली, फरीदाबाद, ग्वालियर, कोटा, लुधियाना, मेरठ, मुंबई और सूरत जैसे देश के 9 शहर भविष्य में गर्मी के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं और इनमें देश की 11 प्रतिशत से अधिक शहरी आबादी रहती है। एनडीएमए ने 2016 में भीषण गर्मी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए कार्य योजना तैयार करने को राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश बनाए थे। बाद में उन्हें 2017 और 2019 में संशोधित भी किया गया।

ये दिशानिर्देश विभिन्न राज्यों, जिलों और शहरों में एचएपी विकास के लिए नींव का काम करते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘एचएपी को पिछले दशक में विकसित किया गया था और बढ़ती गर्मी को देखते हुए इनमें भी बदलाव होते रहेंगे।’
एचएपी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) होते हैं। गर्मी से संबंधित घटनाओं से निपटने के दौरान राज्यों, शहरों और निकायों को इनका पालन करना होता है।

First Published - March 20, 2025 | 11:07 PM IST

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