भारत और ब्रिटेन करीब एक साल के अवरोध के बाद इस महीने के आखिर में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत फिर शुरू कर सकते हैं।
इस मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि ब्रिटेन के व्यापार और वाणिज्य मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स की अगुआई में एक टीम 24 फरवरी को नई दिल्ली आएगी। आखिरी बार दोनों देशों के बीच मार्च 2024 में बातचीत हुई थी।
भारत और ब्रिटेन के बीच बातचीत 3 साल पहले शुरू हुई थी। उस समय ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में कंजर्वेटिव सरकार थी और 9 महीने में समझौते का लक्ष्य रखा गया था। बहरहाल ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता, कई मसलों पर असहमति और अप्रैल से जुलाई के बीच दोनों देशों में आम चुनाव के कारण समझौते में देरी हुई।
इसके बाद नवंबर में ब्राजील में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान अलग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच बैठक के बाद एफटीए पर फिर से बातचीत शुरू करने की घोषणा हुई। एफटीए में दोनों देशों के बीच असहमति के मसलों में कुशल पेशेवरों की आवाजाही, सामाजिक सुरक्षा समझौते के साथ सेवा क्षेत्र में भारत की मांग, ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन बॉर्डर टैक्स से राहत के कदम शामिल हैं। वहीं ब्रिटेन ह्विस्की और ऑटोमोबाइल पर शुल्क घटाने, कानून, आर्किटेक्चर और वित्तीय सेवाओं को खोलने जैसी मांग कर रहा है।
दोनों पक्ष विवाद समाधान के लिए द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के मतभेद खत्म करने के लिए जूझ रहे हैं। सकारात्मक पक्ष यह है कि केंद्रीय बजट 2025-26 में बीआईटी के मौजूदा मॉडल में बदलाव की बात कही गई है, जिससे इसे निवेशकों के ज्यादा अनुकूल बनाया जा सके और सतत विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिल सके।
भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता अगर मूर्त रूप लेता है तो यह रणनीतिक और आर्थिक रूप से दोनों देशों के लिए महत्त्वपूर्ण होगा। ब्रिटेन असल में भारत का 16वां बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों में 15 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है।