Compensation for crop damage in MP: मध्य प्रदेश सरकार ने फसल को होने वाले नुकसान की स्थिति में किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे में इजाफा किया है। मुआवजे की दरें सिंचित-असिंचित और बारहमासी फसलों तथा रकबे के हिसाब से अलग-अलग है।
मध्य प्रदेश में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और सरकार के इस कदम को दूरगामी प्रभाव वालपा माना जा रहा है। सरकार ने मुआवजा बढ़ाने का यह निर्णय हाल ही में एक कैबिनेट बैठक में लिया।
प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘मंत्रि परिषद ने क्षतिग्रस्त फसल के लिए मुआवजा बढ़ा दिया है। मध्य प्रदेश फसल नुकसान के लिए सबसे अधिक सहायता देने वाला राज्य है।’
असिंचित कृषि वाले छोटे और सीमांत किसानों की जोत अगर दो हेक्टेयर तक की है और उन्हें 25 से 33 फीसदी फसल नुकसान हुआ है तो उनको प्रति हेक्टेयर 5,550 रुपये की सहायता दी जाएगी। वहीं अगर नुकसान 34-50 प्रतिशत के बीच है तो हर्जाना बढ़ाकर 8,500 रुपये कर दिया गया है। यदि फसल नुकसान 50 फीसदी से अधिक है तो उन्हें 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
सिंचित कृषि के मामले में 25 से 33 फीसदी नुकसान पर प्रति हेक्टेयर 9,500 रुपये, 34 से 50 फीसदी नुकसान पर 16,000 रुपये और 50 फीसदी से अधिक नुकसान पर प्रति हेक्टेयर 32,500 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
इसी प्रकार बारहमासी खेती वाले इलाके के लिए अलग क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की गई है। विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार फसल सर्वेक्षण के झूठे आंकड़े पेश करके किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा, ‘प्रदेश की मंडियों की हालत बेहद खराब है। किसानों को उनकी फसल के लिए समर्थन मूल्य तक हासिल नहीं हो रहा है। कई जगह से ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि किसानों से हलफनामे भरवाकर उन्हें बिना समर्थन मूल्य के अपनी फसल बेचने पर विवश किया जा रहा है।’